फरवरी 2009 में एक पोस्ट थी, नया कुकुर । भरतलाल एक पिल्ले को गांव से लाया था और पुराने गोलू की कमी भरने को पाल लिया था हमने। उसका भी नाम हमने रखा गोलू – गोलू पांड़े। उसके बाद वह बहुत हिला मिला नहीं घर के वातावरण में। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की कबीर उसने आत्मसातContinue reading “नया कुकुर : री-विजिट”
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हरीलाल का नाव समेटना
विनोद प्वॉइण्ट पर भूसा के बोरे और डण्ठल के गठ्ठर दिख रहे थे। एक नाव किनारे लग चुकी थी और दो लोग उसकी रस्सी पकड़ कर उसे पार्क कर रहे थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाये कि यह गतिविधि मोबाइल के कैमरे में दर्ज कर सकें। पतला सा नब्बे-सौ ग्राम का मोबाइल बड़े काम कीContinue reading “हरीलाल का नाव समेटना”
चिरंजीलाल
चिरंजीलाल अपने खेत में पानी देते दिखे। अर्से से उस खेत में कोई नहीं दीखता था। सूखता जा रहा था। वार्तालाप का ट्रिगर मेरी पत्नीजी ने किया। और चिरंजीलाल जी बताने लग गये। वे काफी समय से इस पार के खेत में ज्यादा नहीं, गंगा के उस पार के खेत में काम करते थे। गेंहूContinue reading “चिरंजीलाल”
