सप्तसिन्धु के आर्यों के पास जीवन का आनन्द लेने के लिये समय की कमी नहीं थी। … वह कामना करते थे – कल्याण हो हमारे घोड़ों, भेड़ों, बकरियों, नर-नारियों और गायों का। (ऋक 1/45/6) इन्ही अपने पशुओं को ले वह चराते थे। राजा और उनमें इतना ही अंतर था कि जहां साधारण आर्य परिवार मेंContinue reading “निषादराज”
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बाल पण्डितों का श्रम
शिवकुटी में गंगा तीर पर सिसोदिया की एक पुरानी कोठी है। उसमें चलता है एक संस्कृत विद्यालय। छोटे-बड़े सब तरह के बालक सिर घुटा कर लम्बी और मोटी शिखा रखे दीखते हैं वहां। यहां के सेमी-अर्बन/कस्बाई माहौल से कुछ अलग विशिष्टता लिये। उनके विद्यालय से लगभग 100 मीटर दूर हनूमान जी के मन्दिर के पासContinue reading “बाल पण्डितों का श्रम”
लल्लू
हमें बताया कि लोहे का गेट बनता है आलू कोल्ड स्टोरेज के पास। वहां घूम आये। मिट्टी का चाक चलाते कुम्हार थे वहां, पर गेट बनाने वाले नहीं। घर आ कर घर का रिनोवेशन करने वाले मिस्तरी-इन-चार्ज भगत जी को कहा तो बोले – ऊंही त बा, पतन्जली के लग्गे (वहीं तो है, पतंजलि स्कूलContinue reading “लल्लू”
