अपने अपने इन्द्रप्रस्थ


जिप्सियाना स्वभाव को ले कर जब मैने पोस्ट  लिखी तो बरबस पॉउलो कोएल्हो की पुस्तक द अलकेमिस्ट की याद हो आयी। (अगर आपने पुस्तक न पढ़ी हो तो लिंक से अंग्रेजी में पुस्तक सार पढ़ें।) उसका भी नायक गड़रिया है। घुमन्तु। अपने स्वप्न को खोजता हुआ मिश्र के पिरामिड तक की यात्रा करता है। वहContinue reading “अपने अपने इन्द्रप्रस्थ”

श्री बुध प्रकाशजी के पूर्वजों की एक पीढ़ी


श्री बुध प्रकाश मेरे जोनल रेलवे (उत्तर मध्य रेलवे) के महाप्रबंधक हैं। सामान्यत: मैं उनपर नहीं लिखता – कि वह कहीं उनकी चाटुकारिता में लिखा न प्रतीत हो। पर वे ३१ दिसम्बर को रिटायर होने जा रहे हैं और ऐसा कोई मुद्दा शेष नहीं है जिसमें मुझे उनकी चाटुकारिता करने की आवश्यकता हो। इसके अलावाContinue reading “श्री बुध प्रकाशजी के पूर्वजों की एक पीढ़ी”

परशुराम – राम-लक्ष्मण संवाद


परशुराम और राम-लक्ष्मण संवाद विकट स्थिति के प्रबंधन में एक रोचक दृष्टांत प्रस्तुत करता है। परशुराम फैल गये थे शिव जी के धनुष का भंग देख कर। राम और लक्ष्मण को उन्हे नेगोशियेशन में विन-ओवर करना था। नेगोशियेशन में विश्वामित्र, जनक या अन्य राजाओं से कोई फेवरेबल इनपुट मिलने की सम्भावना नहीं थी। परशुराम केContinue reading “परशुराम – राम-लक्ष्मण संवाद”

Design a site like this with WordPress.com
Get started