ओह, मैं काशी विश्वनाथ की बात नहीं कर रहा। मैं बंगलौर से हो कर आ रहा हूं और श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ज्योति विश्वनाथ की बात कर रहा हूं! उनको अपने ब्लॉग के निमित्त मैं जानता था। मेरे इस ब्लॉग पर उनकी अनेक अतिथि पोस्टें हैं। उनकी अनेक बड़ी बड़ी, सारगर्भित टिप्पणियांContinue reading “विश्वनाथ जी की जय हो!”
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बेंगळुरु
कल सवेरे ट्रेन आन्ध्र के तटीय इलाके से गुजर रही थी। कहीं कहीं सो समुद्र स्पष्ट दिख रहा था। कोवली के पास तो बहुत ही समीप था। सूर्योदय अपनी मिरर इमेज़ समुद्र के पानी में ही बना रहा था। धान के खेत थे। कहीं कहीं नारियल ताड़ के झुरमुट। आगे चल कर रेनेगुण्टा से जब ट्रेनContinue reading “बेंगळुरु”
संगम, जल कौव्वे और प्रदीप कुमार निषाद की नाव
संगम क्षेत्र में जमुना गंगाजी से मिल रही थीं। इस पार हम इलाहाबाद किले के समीप थे। सामने था नैनी/अरईल का इलाका। दाईं तरफ नैनी का पुल। बस दो चार सौ कदम पर मिलन स्थल था जहां लोग स्नान कर रहे थे। सिंचाई विभाग वालों का वीआईपी घाट था वह। मेरा सिंचाई विभाग से कोईContinue reading “संगम, जल कौव्वे और प्रदीप कुमार निषाद की नाव”
