पीपल की डालें और इस्लाम बकरीवाला


इस्लाम सवेरे टहनियां कांट कर लाता है और बकरियां पालता है। बकरियों को चराने नहीं ले जाता। पूर्णत: घुमंतू (नट) जाति अपने रेवड़ एक जगह पर रख कर पालती है और अब एक ही स्थान पर रहती भी है – यह जानकारी अलग सी थी।

मुझे चाय की चट्टी थामनी चाहिये


कई महीनों बाद कटका स्टेशन की ओर निकला। देखा कि स्टेशन रोड पर एक नयी चाय की दुकान आ गयी है। दुकान पर पालथी मारे एक सांवला सा नौजवान, माथे पर त्रिपुण्ड लगाये विराजमान है। भट्टी दहक रही है। पर्याप्त मात्रा में जलेबी छन चुकी है…

पतझर, पत्तियां और भरसाँय


गांवदेहात रहेगा, पत्तियाँ झरेंगी, कोंहार का पेशा रहेगा और भरसांय रहेगी। चना, लावा, चिउरा, लाई भुनवाया जायेगा। बच्चे भले ही पॉमोलिन में तली पुपुली खाने पर स्विच कर गये हैं; भूंजा खाने का प्रचलन बना रहेगा।

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