कबूतरों और गिलहरियों का आतंक – भाग 2


यह गर्वानुभूति कायम रह पायेगी? अंतत: कौन जीतेगा? हम या कबूतर? या कबूतर रूपी यूक्रेन की सहायता को पोलेण्ड रूपी गिलहरियां कोई नया बखेड़ा कायम करेंगी? क्या “कबूतरों और गिलहरियों का आतंक” का कोई भाग 3 भी लिखना होगा?!

कबूतरों और गिलहरियों का आतंक


कबूतर और गिलहरियों के आतंक के साथ एक सतत और लम्बी जंग लड़नी होगी। अगर हम नॉनवेजिटेरियन होते तो यह लड़ाई बड़ी जल्दी जीती जा सकती थी। पर शाकाहारी होने के कारण हमारा आत्मविश्वास पुख्ता नहीं है। आप ही बतायें, यह जंग हम जीत पायेंगे?

रविवार के लोग


रविवार की यह क्रियायें हम लोगों के जीवन में उत्सव की तरह बनती जा रही हैं। साप्ताहिक उत्सव। इनके लिये शुरू में अहसास नहीं हुआ; पर अब धीरे धीरे कण्डीशनिंग हो गयी है। हम दम्पति को रविवार की प्रतीक्षा रहती है।

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