स्वामी अड़गड़ानंद जी के आश्रम में


धीरे धीरे चल रही थी उनकी कार। रास्ते में आश्रम वासी हाथ जोड़ खड़े हो जाते थे और वाहन सामने से गुजरते समय दण्डवत प्रणाम करते थे।