कस्टर्ड, कजिया और कोरोना


मैं सोचता था कहीं लोगों का जमावड़ा नहीं होगा। पर मैँ गलत निकला। एक जगह चालीस पचास की भीड़ थी। … सवेरे सवेरे कजिया (स्त्रियों/ग्रामीणों की रार) हो रही थी।

लॉकडाउन काल में सुबह की चाय पर बातचीत


शैलेंद्र ने कहा – कितनी शांति है दिदिया। लॉकडाउन के इस काल में, घर में किसी की कोई डिमाण्ड नहीं है। सबको पता है कि जितना है, उसी में गुजारा करना है।

भाग, करोना भाग!


नौ बजे, पास के बस्ती के कुछ बच्चे जोर जोर से “भाग, करोना भाग!” का सामुहिक नारा भी बार बार लगा रहे थे। … कुल मिला कर पूरे देश के एक साथ होने का भाव गहरे में महसूस हो रहा था।

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