संतोष गुप्ता की गांवदेहात में डिजिटल सर्विस


5-7 साल में जो डिजिटल विस्फोट हुआ है – गांवदेहात के स्तर पर भी; वह अभूतपूर्व है। गांवों की डिजिटली निरक्षर जनता की पटरी डिजिटल सुविधाओं से बिठाने के लिये संतोष गुप्ता जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है।

डिजिटल उपकरण और सॉफ्टवेयर रंग और लिंग भेद करते हैं?!


पूर्व-पश्चिम का भेद एक बात। भारत में तो सॉफ्टवेयर/आर्टीफीशियल इण्टेलिजेंस; सवर्ण-वंचित, पुरुष-महिला, गरीब-अमीर, शहरी-ग्रामीण आदि में भेदभाव के घटकों से भारत के समाज को आगे और बांटने वाला बन सकता है (अगर समाज इस विभेद को भांप पाये, तो)।

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