खेत की निराई


उसने अन्य खरपतवार के नाम भी बताये। अंकरी, मटरहिया घास (मटर में उगने वाली और मटर के पौधे जैसी दिखने वाली घास), तीनपत्तिया, गेन्हुई घास (गेंहूं का क्लोन) और बरसीम – इनको निकाल निकाल कर मुझे दिखाया।

‘अन्नदाता’ पर विचार


मैं अपनी छ दशक की जिंदगी में साम्यवाद और समाजवाद की समस्याओं को सुलझाने में असमर्थता को देख चुका हूं। वे मुझे समाधान देते नजर नहीं आते। और यह ‘अन्नदाता’ आंदोलन या प्रतिपक्ष कोई वैकल्पिक ब्ल्यू-प्रिण्ट भी नहीं रखता। हंगामा खड़ा करना ही उनका मकसद लगता है।

यह भी किसान हैं, इनको भी सुना जाये


किसानी के आइसबर्ग का टिप है जो अपने ट्रेक्टर ले कर दिल्ली दलन को पंहुचा है और घमण्ड से कहता है कि छ महीने का गल्ला लेकर धरना देने आया है। यह गांव वाला बेचारा तो छ महीने क्या, छ दिन भी दिल्ली नहीं रह पायेगा।

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