सुग्गी के मास्क #ग्रामचरित


मेहनती है सुग्गी। घर का काम करती है। खेती किसानी भी ज्यादातर वही देखती है। क्या बोना है, क्या खाद देना है, कटाई के लिये किस किस से सहायता लेनी है, खलिहान में कैसे कैसे काम सफराना है और आधा आधा कैसे बांटना है – यह सब सुग्गी तय करती है।

मस्क a.k.a. मास्क


देखा कि एक साइकिल सवार हैंडिल में एक झोला लटकाये, हाथ में साधारण से मास्क लिये है। चाइनीज वाइरस के जमाने में मास्क की मार्केट की आपूर्ति कर रहा है।

आज के चित्र – मेदिनीपुर, पठखौली और इटवा


घास छीलने वाली सवेरे सवेरे निकल पड़ी थीं। आपस में बोल बतिया भी रहे थीं। गर्मी बढ़ रही है। गाय-गोरू के लिये घास मिलनी कम हो गयी है। उसके लिये इन महिलाओं को अब ज्यादा मशक्कत करनी पड़ने लगी है।

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