रसूल हम्जातोव का त्सादा और यहां का गांव


रसूल हम्जातोव जैसी दृष्टि मेरी क्यों नहीं? अपने गांव को ले कर क्यों मैं छिद्रान्वेशी बनता जा रहा हूं। उसके लोगों, बुनकरों, महिलाओं, मन्दिरों, नीलगायों, नेवलों-मोरों में मुझे कविता क्यों नहीं नजर आती। नदी, ताल और पगडण्डियां क्यों नहीं वह भाव उपजाते?