प्रेम सागर की पदयात्रा से तुम क्या चाहते हो, जीडी?


(रोज इग्यारह बजे प्रेम सागर कांवरिया को ले कर ब्लॉग अपडेट करना एक अजब सा फितूर बन गया है। उस बारे में मेरा यह मोनोलॉग। इसे एक बैठेठाले का सोचना ले कर पढ़ लिया जाये! :lol: ) तुम रोज लिख कर, प्रेमसागर से पूछ कर, उनके कहे को रिकार्ड कर और बाद में उसे कईContinue reading “प्रेम सागर की पदयात्रा से तुम क्या चाहते हो, जीडी?”

रीवा से बाघवार – विंध्य से सतपुड़ा की ओर


आगे रास्ता बहुत खतरनाक था। सर्पिल “जलेबी जैसी” सड़क। जरा सा फिसले नहीं कि खड्ड में गिर जाने का खतरा। सर्पिल सड़क से हट कर एक जगह पगड़ण्डी पकड़ी प्रेम सागर ने और पांच-सात किलोमीटर बचा लिये। शाम पांच बजे वे बाघमार रेस्ट हाउस पंहुच गये थे।

प्रेम सागर के घर वाले कैसे लेते हैं पदयात्रा को?


कोई व्यक्ति, 10-15 हजार किलोमीटर की भारत यात्रा, वह भी नंगे पैर और तीन सेट धोती कुरता में करने की ठान ले और पत्नी/परिवार की सॉलिड बैकिंग की फिक्र न करे – यह मेरी कल्पना से परे है। मैं तो छोटी यात्रा भी अपनी पत्नीजी के बिना करने में झिझकता हूं।

Design a site like this with WordPress.com
Get started