“आप मेरे बारे मेंं लिख रहे हैं, उससे मैं गर्वित नहीं होऊंगा, इसके लिये सजग रहा हूं। आप चाहे दिन में तीन बार भी लिखें, मैं उससे विचलित नहीं होऊंगा, भईया। लालसा बढ़ने से तो सारा पूजा-पाठ, सारी तपस्या नष्ट हो जाती है।”
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प्रेमसागर अनूपपुर की ओर
कल उन्होने बारिश के लिये बेहतर तैयारी कर ली है। रेनकोट तो नहीं मिला, एक छाता खरीद लिया है। यह भी बताया कि छाता केवल अचानक आयी बारिश से बचने और कोई शरण ढूंढने के काम ही आयेगा। बारिश में चलते चले जाने के लिये नहीं!
प्रेमसागर जी को लह गया नया स्मार्टफोन!
आज नया स्मार्टफोन मिल जाने से उनकी नोकिया के बूढ़े, चार इंच के स्मार्ट(?) फोन के धुंधले चित्र से निजात मिली। उन चित्रों को मुझे बहुत एडिट करना पड़ता था और तब भी धुंधलापन दूर न होने के कारण उनका पेण्टिंग टाइप संस्करण बनाना होता था। अब वह नहीं करना होगा।
सोन, बाणगंगा, सोहागपुर और शहडोल
शहडोल के पहले ही पड़ता है सोहागपुर। या सोहागपुर का वर्तमान नाम शहडोल है। सोहागपुर कालाचूरि राजाओं की राजधानी थी। यहां हजारवीं शती का विराटेश्वर मंदिर है। उस मंदिर का मत्स्यदेश के राजा विराट से कोई लेनादेना है?
रोक लिया आज धूप बारिश और पैर के दर्द ने
कल प्रेम सागर को गुजरना पड़ा जंगल के बीच से। पदयात्रा के बीच में बारिश कई बार आ गयी। रुकने को कोई जगह नहीं मिली। भीगना खूब हुआ। बारिश रुकने पर धूप भी चटक थी। उससे भी तबियत ढीली हो गयी।
प्रेम सागर के घर वाले कैसे लेते हैं पदयात्रा को?
कोई व्यक्ति, 10-15 हजार किलोमीटर की भारत यात्रा, वह भी नंगे पैर और तीन सेट धोती कुरता में करने की ठान ले और पत्नी/परिवार की सॉलिड बैकिंग की फिक्र न करे – यह मेरी कल्पना से परे है। मैं तो छोटी यात्रा भी अपनी पत्नीजी के बिना करने में झिझकता हूं।