17 सितम्बर 2021:
कल उन्होने बारिश के लिये बेहतर तैयारी कर ली है। रेनकोट तो नहीं मिला, एक छाता खरीद लिया है। यह भी बताया कि छाता केवल अचानक आयी बारिश से बचने और कोई शरण ढूंढने के काम ही आयेगा। बारिश में चलते चले जाने के लिये नहीं!
सवेरे उठ कर मैं यहाँ भदोही का नहीं, शहडोल का मौसम तलाशता हूं वेदर चैनल पर। वह ‘मोस्टली क्लाउडी’ बताता है और बारिश की सम्भावना 70 परसेण्ट। पक्का नहीं लगता कि प्रेमसागर आज भी निकल पाये होंगे आगे की पदयात्रा के लिये; कल तो सात किलोमीटर चलने के बाद उन्हे बैक टू बिचारपुर होना पड़ा था।
सवा छ बजे सवेरे उनसे पूछा तो बोले – “हर हर महादेव! आज मौसम खुला है। हल्के बादल हैं एक तरफ। निकल ही लिये हैं हम। थोड़ा देर से निकले। अभी दो तीन किलोमीटर चले हैं। रस्ता में दृश्य अच्छा दिखा तो फोटो लेंगे।”
कल उन्होने बारिश के लिये बेहतर तैयारी कर ली है। रेनकोट तो नहीं मिला, एक छाता खरीद लिया है। यह भी बताया कि छाता केवल अचानक आयी बारिश से बचने और कोई शरण ढूंढने के काम ही आयेगा। बारिश में चलते चले जाने के लिये नहीं!
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
साढ़े आठ बजे उन्होने अपडेट दिया। मौसम साफ है। धूप भी निकल आ रही है। करीब 16 किलोमीटर चल लिये हैं। अभी जंगल नहीं पड़ा। शहर और गांव ही दिख रहे हैं। एक जगह राधास्वामी वालों का सत्संग का स्थान है। “उसका फोटो खींच लें तो आपको भेजते हैं।”
वीरेंद्र सिंह परिहार, वन रक्षक (मुंशी जी)
प्रेम सागर अपनी यात्रा में चित्रों की भूमिका को उत्तरोत्तर समझते स्वीकारते और अपनाते जा रहे हैं। उन्होने वन रक्षक वीरेंद्र सिंह परिहार के एक चित्र को भेजा और साथ में टिप्पणी दी – “विरेंद्र सिह परिहार ( वन रक्षक) यही देख रेख मै हैंं। ये बहुत सेवा करते है। यही भाई साहब खुद ही चारो साइड घुमा रहै है।” कुल मिला कर सहायक व्यक्ति के बारे में कृतज्ञता ज्ञापन का यह तरीका उन्हें समझ में आ रहा है कि किसी भी व्यक्ति का उनकी पदयात्रा-विवरण में जिक्र हो।

वीरेंद्र सिंह जी से मैं भी बात करता हूं। सरल व्यक्ति लगे। वन रक्षक हैं पर तैनाती वन में नहीं बिचारपुर ‘रोपनी (नर्सरी)’ में है। मध्यप्रदेश की वन सम्पदा में जो भी दुर्लभ, विचित्र और औषधीय वनस्पति है, उसकी नर्सरी का सुपरविजन वीरेंद्र सिंह जी के जिम्मे है। रीवा जिला में उनका गांव है। वन विभाग में एड-हॉक पर थे। सन 2017 में परमानेंट वन रक्षक बने हैं। वनों से खोज खोज कर वनस्पति लाये हैं बिचारपुर नर्सरी के लिये।
वीरेंद्र सिंह जी ने नर्सरी के अनेकानेक पौधों के बारे में प्रेम सागर को बताया। मसलन यह अगस्त्य मुनि है। यह वृक्ष जहां होता है, वहां तड़ित बिजली नहीं गिरती है।

बच का चित्र भी भेजा। बच के औषधीय गुणों के बारे में पहले पंकज अवधिया जी की एक अतिथि पोस्ट मेरे इस ब्लॉग पर उपलब्ध है। यह वनस्पति मानसिक तनाव दूर करने के लिये बहुत उपयोगी है।

यह गरुड़ का पौधा है। यथा नाम तथा गुण। प्रेम सागर कैप्शन देते हैं – गरुण के पौधे है। इनका पत्ती या फल को; कोइ भी सर्प काट ले तो; पीस कर पिला देने से उसका विष खत्म हो जाता है इस पौधे के नीचे कोई भी सर्प आता है तो मर जाता है।

इसके अलावा अनेकानेक वनस्पतियों के विवरण दिये हैं प्रेमसागर जी ने। उन सब के बारे में लिखा जाये तो छोटी पुस्तिका ही बन जाये! वीरेंद्र सिंह परिहार जी की इस वनसम्पदा रक्षण में भूमिका नीव के पत्थर की है। बाबा राम देव कभी शहडोल की बिचारपुर नर्सरी आये नहीं और वीरेंद्र सिंह परिहार जी से मिले नहीं; वर्ना इन्हें तो अपने आश्रम में ही रख लेते परमानेंटली! 🙂

और भी अनेक चरित्रों से परिचय होगा प्रेमसागर की कांवर पदयात्रा के दौरान। मुझे अहसास है कि मेरा बहुत सा समय प्रेमसागर के चक्कर में लगने वाला है। तब तक, जब तक प्रेमसागर को मीडिया वाले न झटक लें! 😆
चलिये, कल पता चलेगा कि कहां तक पंहुचे प्रेमसागर पांड़े! कल की पोस्ट कल देखियेगा। हर हर महादेव! जय हो!
आप कृपया ब्लॉग, फेसबुक पेज और ट्विटर हेण्डल को सब्स्क्राइब कर लें आगे की द्वादश ज्योतिर्लिंग पदयात्रा की जानकारी के लिये। ब्लॉग – मानसिक हलचल ट्विटर हैण्डल – GYANDUTT फेसबुक पेज – gyanfb |
आपकी हर पोस्ट में एक नये नायक मिल रहे हैं। वीरेन्द्र सिंह जी का औषधीय ज्ञान चमत्कृत करता है।
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सबसे चमत्कृत करने वाले तो प्रवीण दुबे जी हैं। रिटायरमेण्ट के बाद वन वाले मामलों पर पोस्ट डॉक्टरल रीसर्च कर रहे हैं।
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आज सुबह से कुछ ज्यादा ही व्यस्तता थी पर मौका मिलते ही आपके द्वारा प्रेमसागर जी की खबर ली , लगता है जुडाव गहराता जा रहा है |
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यह प्रेम सागर जी के लिए और ब्लॉग के लिए अच्छा है!
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Sir Prem sagar ji ke sath apka bhi digitally bhraman karma anokha h avam apke madhyam se humen bhi ramnik sthanon ka anand prapt ho raha h dhany h sir ap
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धन्यवाद एएम एएम शर्मा जी! अच्छा लगा जानकर कि पोस्टें आपको रूचिकर लग रही हैं.
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