प्रेम सागर बताते हैं कि जब यह 101 कांवर संकल्प लिया और देवघर के बैजनाथधाम में जल चढ़ाना प्रारम्भ किया तो आशातीत दैवीय परिवर्तन हुआ। बिटिया की शादी सहजता से हो गयी। संकल्प की कसौटी पर खरे उतरे प्रेम सागर!
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ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग। भदोही (पूर्वी उत्तर प्रदेश, भारत) में ग्रामीण जीवन। रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर अफसर। रेल के सैलून से उतर गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलता व्यक्ति।
प्रेम सागर बताते हैं कि जब यह 101 कांवर संकल्प लिया और देवघर के बैजनाथधाम में जल चढ़ाना प्रारम्भ किया तो आशातीत दैवीय परिवर्तन हुआ। बिटिया की शादी सहजता से हो गयी। संकल्प की कसौटी पर खरे उतरे प्रेम सागर!
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(रोज इग्यारह बजे प्रेम सागर कांवरिया को ले कर ब्लॉग अपडेट करना एक अजब सा फितूर बन गया है। उस बारे में मेरा यह मोनोलॉग। इसे एक बैठेठाले का सोचना ले कर पढ़ लिया जाये! 😆 ) तुम रोज लिख कर, प्रेमसागर से पूछ कर, उनके कहे को रिकार्ड कर और बाद में उसे कईContinue reading “प्रेम सागर की पदयात्रा से तुम क्या चाहते हो, जीडी?”
कल प्रेम सागर को गुजरना पड़ा जंगल के बीच से। पदयात्रा के बीच में बारिश कई बार आ गयी। रुकने को कोई जगह नहीं मिली। भीगना खूब हुआ। बारिश रुकने पर धूप भी चटक थी। उससे भी तबियत ढीली हो गयी।
माताजी एक ठो बात और बोलीं – “बेटा जो यह बारहों ज्योतिर्लिंग यात्रा कर रहे हो, उससे तुम्हारा चौदह पुश्त पहले का और चौदह पुश्त बाद का भी तर जायेगा!
सहायता करने वालों के लिये बोलीं – उन लोगों का पूर्वजनम का जो भी पाप होगा, वह धुल जायेगा। वे फिर कभी जनम नहीं लेंगे।”
आगे रास्ता बहुत खतरनाक था। सर्पिल “जलेबी जैसी” सड़क। जरा सा फिसले नहीं कि खड्ड में गिर जाने का खतरा। सर्पिल सड़क से हट कर एक जगह पगड़ण्डी पकड़ी प्रेम सागर ने और पांच-सात किलोमीटर बचा लिये। शाम पांच बजे वे बाघमार रेस्ट हाउस पंहुच गये थे।
कोई व्यक्ति, 10-15 हजार किलोमीटर की भारत यात्रा, वह भी नंगे पैर और तीन सेट धोती कुरता में करने की ठान ले और पत्नी/परिवार की सॉलिड बैकिंग की फिक्र न करे – यह मेरी कल्पना से परे है। मैं तो छोटी यात्रा भी अपनी पत्नीजी के बिना करने में झिझकता हूं।