ब्रेन-इंजरी पर वेब साइट – आइये मित्रों !

मैने ब्रेन-इंजरी पर वेब साइट बनाने के लिये सहयोग मांगा था। आप में से बहुतों ने अपनी संवेदनायें और सहयोग की तत्परता व्यक्त की थी. तदुपरंत परिचर्चा में भी उस विषय पर कुछ विचार हुआ था पर बात अटक कर रह गयी थी अथॉरिटेटिव मैडीकल कन्टेन्ट के अभाव पर. सहयोग करने वाले सभी इंफर्मेशन तकनीक के जगत के थे या हिन्दी के मेरे जैसे जनरल फील्ड के. मैने यह भाव अपनी पिछले दिनों की पोस्ट में भी व्यक्त किये थे.
अब, मां सरस्वती ने प्रार्थना सुन ली है।
मैने ब्रेन इंजरी रिसोर्स सेंटर से अप्रेल के प्रारम्भ में सम्पर्क किया था। उसके मैनेजिंग डायरेक्टर श्री कॉंस्टेंस मिलर ने कुछ दिन पहले मुझसे मेरे क्रिडेंशियल्स पूछे। बतौर ब्लॉगर अपने लेखन और आप सबके सहयोग की बात मने उनसे कही. श्री कॉंस्टेंस मिलर ने आज मुझे ई-मेल कर अपनी वेब साइट के मैटीरियल को उदार (और मेरे द्वारा ही व्यक्त की गयी शर्तों पर) तरीके से प्रयोग करने की अनुमति प्रदान कर दी है. कृपया उनका ई-मेल देखें.

श्री कॉंस्टेंस मिलर, एम.डी., ब्रेन इंजरी रिसोर्स सेंटर का ई मेल:
Dear Gyandutt;
Thank you for contacting Brain Injury Resource Center concerning your translation of material from our web and posting it on a blog in India. As you stated you will translate the material in “Hindi only for the web site I propose to build for the benefit of Hindi population predominantly in India? I shall quote your source wherever I use it and will not claim any right on the material or translation.”
I am agreeable to your proposal, as stated, concerning the use of said information.
Please credit Brain Injury Resource Center, http://www.headinjury.com/, as the source of this material
Again, thank you for contacting Brain Injury Resource Center, I
trust that you have been helped by the information provided. 206-621-8558
Sincerely,
Constance Miller , MA
Brain Injury Resource Center
PO Box 84151
Seattle WA 98124-5451
brain@headinjury.com


अब गेंद हम सब के पाले में है। इस विषय से जुड़ाव करते सभी मित्रगण; अगर हम ब्रेन इंजरी रिसोर्स सेंटर की वब साइट का पूअर क्लोन भी हिन्दी में बना पाये तो वह हिन्दी जगत की महती सेवा होगी. और हम सब के हिन्दी उत्साह को देख कर तो नहीं लगता कि हम पूअर क्लोन ही बना पायेंगें.
आवश्यकता अब है टीम बनाने की, एक्टीविटी आइडेण्टीफाई करने की और काम करने की। आप लोगों ने रामचरित मानस को नेट पर उपलब्ध कराया है. अब एक जमीनी, संवेदनात्मक और उपयोगी मसले पर काम करने का अवसर है.
हैलो; नितिन व्यास, मिर्ची सेठ, श्रीश, अनूप शुक्ल, नीरज रोहिल्ला, जीतेन्द्र चौधरी, आशीष श्रीवास्तव, शृजन शिल्पी, योगेश समदर्शी, महाशक्ति, राजीव, अमित और अन्य नये लोग —- आप सुन रहे हैं न!

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

16 thoughts on “ब्रेन-इंजरी पर वेब साइट – आइये मित्रों !

  1. ज्ञान जी आप 85% ठीक हो कर लौट आये जान कर खुशी हुई। मैं ने टिवटर पर शुभकामनाएं भे्जी थी पर शायद आप को मिली नहीं, और फ़िर बाद में मैं ने आप को डिस्टर्ब करना ठीक न समझा।आप की इस पोस्ट को अभी देख रही हूँ। टिप्पणीयां देख कर लगता है कि काम हो चुका होगा। प्लीज जानकारी दिजिएगा, पढ़ने में आनंद आयेगा। अगर पूरा नहीं हुआ है तो इस प्रोजेक्ट के साथ हम भी जुड़ना चाहेगें अगर आप की पर्मीशन हो तो

    Like

  2. ज्ञानदत्त जी आप सबसे पहला काम यह करें कि इच्छुक लोगों का एक गूगल ग्रुप (मेलिंग लिस्ट) बना लें, hi-BrainInjury@googlegroups.com आदि नाम से। बाकी सब डिस्कशन वहीं करते हैं। बाकी हिन्दी चिट्ठाकार परिवार की ओर से आपको हरसंभव सहायता मिलेगी।

    Like

  3. पाण्डेय जी, अपनी सहमति और एक संक्षिप्त प्रस्ताव भी मैंने आपको प्रेषित कर दिया है।

    Like

  4. भाई मै तो ब्रेन इंजरी के कारण सवा साल तक अस्पताल मे ही था,तीन महीने कोमा मे मेरे से जॊ बन पडेगा करुगा,मेरे से ज्यादा दर्द कौन जानता होगा जो वापस आने के दिन से ही उधार की जिन्दगी जी रहा हो

    Like

  5. राम कार्य में गिलहरी की स्‍वयंसेवक हो सकती थी तो हम क्‍यों नही ? आप मेरे योग्‍य किसी भी सार्थक सामूहिक कार्य में मेरा सहयोग पायेगें। याद करने के लिये धन्‍यवाद

    Like

Leave a reply to राजीव Cancel reply

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started