हिन्दी ब्लॉग लिखने वाले एक ही विषय को सड़ा मारते हैं


पॉपुलर ब्लॉग पोस्टों का मुआयना कर लीजिये. पहले चल रहा था – ब्लॉगर मीट. वह खाते – खाते अचानक चालू हो गया नारद – अभिव्यक्ति की आजादी – बैन/सैन. अब जिसे देखो, वही बड़ा क्रांतिकारी नजर आ रहा है. ज्यादातर के तो हेडिंग में ही यह परिलक्षित हो जाता है. आपको सहूलियत होती है किContinue reading “हिन्दी ब्लॉग लिखने वाले एक ही विषय को सड़ा मारते हैं”

ढेरों कैम्प, ढेरों रूहें और बर्बरीक


बर्बरीक फिर मौजूद था. वह नहीं, केवल उसका सिर. सिर एक पहाड़ी पर बैठा सामने के मैदान पर चौकस नजर रखे था. ढेरों रूहों के शरणार्थी कैम्प, ढेरों रूहें/प्रेत/पिशाच, यातना/शोक/नैराश्य/वैराग्य/क्षोभ, मानवता के दमन और इंसानियत की ऊंचाइयों की पराकाष्ठा – सब का स्थान और समय के विस्तार में बहुत बड़ा कैनवास सामने था. हर धर्म-जाति-वर्ग;Continue reading “ढेरों कैम्प, ढेरों रूहें और बर्बरीक”

अफसरी के ठाठ और आचरण नियमों की फांस


कल मैने अपनी मजबूरी व्यक्त की थी कि मै‍ ब्लॉग पर एक सीमा तक लिख सकता हूं, उसके आगे बोलने के लिये मुझे अपने रिटायरमेण्ट तक रुकना पड़ेगा. बहुत से लोगों ने टिप्पणियों में कहा कि वे मेरे डिस्क्लोजर के लिये मेरे रिटायरमेण्ट का इंतजार नहीं कर सकते. वैसे मुझे कोई मुगालता नहीं है –Continue reading “अफसरी के ठाठ और आचरण नियमों की फांस”

Design a site like this with WordPress.com
Get started