मानसिक तनाव दूर करने की वनस्पति


श्री पंकज अवधिया की बुधवासरीय अतिथि-पोस्ट। पिछले सप्ताह आपने दांतों के स्वास्थ्य के लिये हल्दी के प्रयोग पर पढ़ा था। आज आप मानसिक तनाव दूर करने के लिये एक वनस्पतीय नुस्खे के बारे में पढ़ें।


प्रश्न: दिनभर इतना अधिक मानसिक तनाव हो जाता है कि वही-वही बात दिमाग मे घूमती रहती है। नींद की दवा लेने से सो तो जाता हूँ पर ताजगी नही लगती। ऐसा उपाय बताएं कि इन बेवजह घूमती बातो को डिलीट किया जा सके कम्प्यूटर की तरह।

उत्तर: मै आपकी परेशानी समझ सकता हूँ। डिलीट सम्भव है पर इससे कई आवश्यक जानकारियाँ भी खतरे मे पड जायेंगी। इसलिये कम्प्यूटर की तरह ही “रिफ्रेश या रिलोड” वाला तरीका अपनाया जा सकता है। बहुत से उपाय है जिससे आप एक ही विषय पर अटके दिमाग को फिर से तरो-ताजा कर सकते है। सबसे सरल और प्रभावी उपायों मे से एक बच नामक वनस्पति का प्रयोग है।

बच को घोड बच, वचा या स्वीट फ्लेग भी कहा जाता है। घर मे बड़ों से पूछेंगे तो वे आपको इसके बारे मे बता देंगे। यदि आपका बचपन घरेलू औषधियों के साये मे बीता है तो जरूर आपकी तुतलाहट दूर करने के लिये आपको बच चूसने के लिये दी गई होगी। य़हाँ बच का आँतरिक प्रयोग नही करना है। बल्कि इसे अपने बगीचे मे लगाना है।

रोज शाम को जब आप थककर आयें तो कैची से इसकी पत्तियो के ऊपरी सिरे को कतर दे। इससे इसके सुगन्धित अवयव हवा में फैल जायेंगे। आप गहरी साँसें लीजिये इस हवा मे। दो से तीन मिनट। आपको को निश्चित ही लाभ मिलेगा। इसकी पत्तियो को मसलकर भी सूंघा जा सकता है। पर इससे उतना लाभ नही होगा।

आपके बगीचे का वह स्थान जहाँ से बेकार पानी निकलता है और कुछ नही उगता है, ही बच के लिये उपयुक्त जगह है। इसकी उपस्थिति कीटाणुओं को दूर रखती है। वैसे तंत्र क्रिया मे विश्वास रखने वाले मानते है कि यह बुरी आत्माओ को दूर रखता है। आज के युग मे मच्छर और मख्खियाँ बुरी आत्माओ से कम नही हैं।

Photo Sharing and Video Hosting at Photobucket
रोज शाम को जब आप थककर आयें तो कैची से इसकी (बच की) पत्तियो के ऊपरी सिरे को कतर दे। इससे इसके सुगन्धित अवयव हवा में फैल जायेंगे। आप गहरी साँसे लीजिये इस हवा मे। दो से तीन मिनट। (मानसिक तनाव में) आपको को निश्चित ही लाभ मिलेगा।

गंगा के किनारो पर पानी जमा होने के कारण भूमि पर किसान कुछ लगा नही पाते थे। उन्हे अब बच के रूप मे सशक्त विकल्प मिला है। बनारस के कई किसान बडे पैमाने पर इसे लगा रहे हैं और कोलकाता मे बेच रहे हैं। छत्तीसगढ मे प्रयोगधर्मी किसानो से धान के साथ इसे लगाकर कई प्रयोग किये। उन्होने पाया कि इससे धान की फसल पर कीटों का आक्रमण कम होता है। आपके बगीचे मे इसकी उपस्थिति भी अन्य सजावटी पौधो को कीटों से बचायेगी। वैसे इसके कंदों को कपड़ों के बीच रखकर कीटो से बचाया जाता रहा है।

बच की तरह दसों वनस्पतियाँ है जिनके विषय मे मै आगे लिखूंगा। जिन पाठको के पास बगीचा नही है वे गमले मे भी इसे लगा सकते है। बच के पौधो की उपलब्धता दुनिया भर मे है।

बच पर विस्तृत जानकारी मेरे ईकोपोर्ट पर उपलब्ध शोध आलेखों से भी प्राप्त की जा सकती है।

पंकज अवधिया1


1. ईकोपोर्ट पर पंकज जी के लेखों को पढ़ने/संदर्भ लेने ५-६ लाख लोग प्रति दिन पंहुचते हैं। यह संख्या हिन्दी में हम लोगों के फुटकर या विषयनिष्ठ लेखन को पाने में कितना समय लगेगा? हम लोग तो दिया जला रहे हैं। इसे पावर हाउस बनाने और उपयोग करने तो शायद आने वाले लोग ही हों।


Bach Pot «बच का गमला।

बच के विषय में भौतिक रूप से जानने को यह आवश्यक था कि मैं स्वयम वह पौधा देख लूं, जिस पर पंकज जी का उक्त लेख है। इसमें सहायक बने मेरे मित्र श्री दीपक दवे, जो इलाहाबाद में मण्डल रेल प्रबंधक हैं और रायपुर में पंकज जी के पड़ोसी। रविवार को दीपक जी ने बच के एक पौधे का गमला भिजवाया।Gyan(208)

बच का गमला देने वाले मेरे मित्र श्री दीपक दवे »

यह पौधा चल जाये तो इसे बगीचे में जमीन में फैलने दूंगा। इसकी तोड़ी पत्ती में सुगंध है। मेरे परिवार वाले कह रहे हैं कि इस वनस्पति को उन्होने आस-पास देखा है। भरतलाल (मेरे बंगलो पियून) का कहना है कि उसके गांव में नहर की दांती (किनारे) पर बहुत फैला है यह।

लगता है पंकज जी के चक्कर में रेलगाड़ी हांकना छोड़ कर इधर-उधर पौधों, वनस्पतियों को ढ़ूंढ़ता फिरने लगूंगा!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

16 thoughts on “मानसिक तनाव दूर करने की वनस्पति

  1. बच के पौधे के बारे में बहुत रोचक जानकारी है। देखता हूँ अबकी शनिवार या रविवार की छुट्टी के दौरान इसका इंतजाम कर पाता हूँ कि नहीं। कर पाता हूँ कि नहीं..इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि ऐसे कई संक्ल्प…योजनाएं पोस्ट पढ़ने तक तो मन में रहती हैं पर बाद में विस्मृत हो जाती हैं। वैसे मुझे यह पौधा लेने दादर जाना पड़ेगा….और लेकर लौटते ही पहले इसके पर कतरूंगा :)

    Like

  2. बच के इस अभिनव प्रयोग के संबंध में औषधीय पौधों से संबंधित पुस्‍तकों में भी जानकारी नहीं हैं, यह तो पंकज जी के पारंपरिक चिकित्‍सकों से निरंतर संपर्क व जंगलों में उनके गहन शोध से प्राप्‍त जानकारी है । धन्‍यवाद पंकज भाई एवं आपको भी ज्ञान सर ।

    Like

  3. आप सभी की सशक्त टिप्पणियो के लिये आभार। हमेशा की तरह ज्ञान जी को हार्दिक धन्यवाद। आज दोपहर ही को हैदराबाद से लौटा हूँ। इतनी सुन्दर प्रस्तुति से सारी थकान काफूर हो गयी।स्वत: ही फैलने वाले इस पौधे को जमीन से जोड दे और विशेष मजबूरी मे ही गमले मे लगवाये। आशा है पिछली पोस्ट के दी गई जानकारी से लाभ हो रहा होगा। यदि इन लाभो को आप हमसे बाँटना चाहे तो आपका स्वागत है।

    Like

Leave a reply to Dard Hindustani (पंकज अवधिया) Cancel reply

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started