टॉवर, व्यक्तिगत जमीन और स्थानीय शासन


कल मेरे एक पुराने मित्र मुझसे मिलने आये। उनका विभाग ग्रामीण इलाके में खम्भे और तार लगा रहा है। उनकी समस्या यह है कि गांव के लोग अपने खेत में टॉवर खड़ा नहीं करने दे रहे।1

Electrical_Line_Tower_3 टॉवर खड़ा करना जमीन अधिग्रहण जैसा मामला नहीं है। इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट की धाराओं के अनुसार किसी भी जमीन से तार ले जाने खम्भे उसमें गाड़ने से कोई मना नहीं कर सकता। यह अवश्य है कि टॉवर या तार ले जाने के अलावा और किसी कार्य के लिये इस प्रकार किसी की जमीन का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

यह इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट १८८५ का बना है और ये धारायें उसमें आज भी यथावत हैं। आप यह एक्ट हाइपर लिंक के माध्यम से देख सकते हैं। हम यहां उसकी धारा १० का सन्दर्भ ले रहे हैं। इस विषय में स्थानीय शासन तार बिछाने वालों की सहायता करेगा – इस प्रकार का प्रावधान है।

पर मेरे मित्र का कथन था कि जब उन्होने लोगों के प्रतिरोध करने पर स्थानीय शासन से सहायता के लिये सम्पर्क किया तब उन्हे देश की स्थिति और किसानों की दशा पर एक प्रवचन सुनने को मिला। एक्ट की धाराओं पर संकेत करने पर यह कहा गया कि सवा सौ साल पुराना यह एक्ट लोगों की वर्तमान अवस्था और आवश्यकताओं से मेल नहीं खाता। उसके बाद मेरे मित्र की फाइल अधीनस्थ के पास पंहुचा दी गयी। अधीनस्थ महोदय और भी उन्मुक्त और मुखर भाव से अपनी अनिच्छा व्यक्त करने लगे।

मुझे मित्र की लाइन से सीधा कोई लगाव नहीं है। पर मैं स्थानीय शासन की उन कार्यों के प्रति, जो उनके नित्य कार्यों से जुड़े नहीं हैं, प्रतिबद्धता के प्रति उदसीनता का उल्लेख करना चाहता हूं। जिस उत्साह से सवा सौ साल पहले अंग्रेजों ने इस देश में रेल या टेलीग्राफ/संचार का विस्तार किया होगा – और उस समय स्थानीय प्रशासन जिस उत्साह से उसमें सहायक रहा होगा; वह अब देखने में कम ही आता है। हर स्तर पर राजनीति, व्यक्तिगत स्वार्थ और विकास के प्रति उदासीनता व्याप्त दीखते हैं। ऐसा नहीं कि यह दशा स्थानीय/राज्य स्तरीय शासन और सँचार/रेलवे को लेकर ही हो। रेलवे और अन्य विभाग भी आपस में एक दूसरे के कार्यों पर उदासीनता दिखाते हैं।

फिर भी इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है। देश प्रगति कर रहा है – यह देख कर मुझे ईश्वर के अस्तित्व में और भी आस्था होती है!


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1. खेत में से तार या खम्भे जाने से किसान को निश्चय ही घाटा है। उसकी खेत पर मशीन/ट्रेक्टर चलाने की सुविधा में कमी आती है। जमीन का कोई मुआवजा नहीं मिलता। केवल एक फसल के खराब होने का मुआवजा मिलता है – स्थानीय शासन की मार्फत। और शासन से पैसा निकालने में जो हील-हुज्जत होती होगी, उसकी आप कल्पना कर सकते हैं। खेत में तार गुजरने से जमीन की उत्पादकता में तो शायद बहुत असर न पड़े, पर जमीन की कीमत अवश्य कम हो जाती है। उसके प्रति यह टेलीग्राफ एक्ट उदार नहीं है। कुल मिला कर यह मुद्दा विवाद या चर्चा का हो सकता है। पर देश की प्रगति के लिये तार ले जाने की सुविधा मिलनी चाहिये। बदली स्थिति में अगर एक्ट किसान के प्रति कुछ उदार बनाना हो तो वह किया जाये; पर विकास को अवरुद्ध न किया जाये।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

12 thoughts on “टॉवर, व्यक्तिगत जमीन और स्थानीय शासन

  1. हमें भी लगता है कि अगर सही दाम मिले तो किसान सहर्ष सहयोग देगें।

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  2. जैसे लोग अपने ब्लाग पर विज्ञापन के टावर लगाते हैं सहर्ष वैसे ही खेत पर भी लगवा लेंगे अगर कुछ मिले । :)

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