पानी की सुराही बनाम पानी का माफिया


पानी के पुराने प्रबन्धन के तरीके विलुप्त होते जा रहे हैं। नये तरीकों में जल और जीवों के प्रति प्रेम कम; पैसा कमाने की प्रवृत्ति ज्यादा है। प्रकृति के यह स्रोत जैसे जैसे विरल होते जायेंगे, वैसे वैसे उनका व्यवसायीकरण बढ़ता जायेगा। आज पानी के साथ है; कल हवा के साथ होगा। और जल परContinue reading “पानी की सुराही बनाम पानी का माफिया”

गधा और ऊँट – च्वाइस इज़ योर्स


गर्दभ अहो रूपम – अहो ध्वनि! (यह मेरी 25 फरवरी 2007 की एक शुरुआती पोस्ट का लिंक है।) आप रूप का बखान करें या ध्वनि का। विकल्प आपके पास है। इतना समय हो गया, पाठक जस के तस हैं हिन्दी ब्लॉगरी के। वही जो एक दूसरे को रूपम! ध्वनि!! करते रहते हैं। महाजाल वाले सुरेशContinue reading “गधा और ऊँट – च्वाइस इज़ योर्स”

मिट्टी का चूल्हा


मेरे पड़ोस में यादव जी रहते हैं। सरल और मेहनतकश परिवार। घर का हर जीव जानता है कि काम मेहनत से चलता है। सवेरे सवेरे सब भोजन कर काम पर निकल जाते हैं। कोई नौकरी पर, कोई टेम्पो पर, कोई दुकान पर। यादव जी का चूल्हा और उपले की टोकरी अपनी छत पर जब हमContinue reading “मिट्टी का चूल्हा”

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