मैने अपने महाप्रबन्धक महोदय को एक ई-मेल भेजी थी – साढ़े तीन एम.बी. के अटैचमेण्ट के साथ। उनके यह कहने पर कि वह उन्हें मिली नहीं, मैने पुन: प्रेषित कर दी – मुझे अटैचमेण्ट के आधार पर प्रशासनिक सपोर्ट की जरूरत थी। पर दूसरी बार भी उन्हें मेल न मिलने पर अजीब लगा, सो मैं व्यक्तिगत रूप से उनके पास पेन ड्राइव में ई-मेल के अटैचमेण्ट ले कर पंहुच गया।
वहां उन्होने जब अपने ई-मेल को ध्यान से सर्च किया तो पाया कि मेल को, गूगल, स्पैम (Spam) फिल्टर में डाले बैठा था।
तब स्पैम पर चर्चा चली। स्पैम का मतलब क्या है – उन्होंने पूछा। मैने कहा कि स्पैम को मैं कचरे के रूप में ही जानता हूं। यानी, अनायाचित, थोक के भाव भेजी गई ई-मेल। शब्द के मूल के बारे में तो पता नहीं।
श्री सुदेश कुमार, महाप्रबन्धक, उत्तर-मध्य रेलवे। कल ये प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे थे। और स्क्राइब्स अगर बेहतर तैयारी कर सवाल कर रहे होते तो ज्यादा ऑन-द-रिकॉर्ड निकलवा पाते।
उन्होने ही बताया कि इस शब्द पर उन्होने काफी माथा-पच्ची कर रखी है। यह "Shoulder of Pork and Ham" है। यह हॉर्मल कम्पनी बनाती थी। नाम हुआ करता था – हॉर्मल स्पाइस्ड हैम (Hormel Spiced Ham)। जब इस उत्पाद का मार्केट गिरने लगा तो एक नामकरण प्रतियोगिता के आधार पर यह नया नाम स्पैम (SPAM) रखा गया सन १९३७ में।
स्पैम निश्चय ही कचरा वेराइटी का मांस रहा होगा/है। मैने पढ़ा कि यह अमेरिका में काफी लोकप्रिय है, पर इसे आर्थिक तंगी से जोड़ कर देखा जाता है – यह सस्ता जो है। जो सस्ता और उपेक्षित सो स्पैम! स्पैम को निश्चय ही जंक फूड माना जाता होगा और जंक फूड के समतुल्य जंक मेल। लिहाजा जंक मेल स्पैम हो गया।
अब हमारे साम्य/समाजवादी एक आन्दोलन चला सकते हैं कि कचरा मेल को स्पैम न कहा जाये। सस्ते और लोकप्रिय उत्पाद की छीछालेदर गरीब का अपमान है।
वैसे हम नॉन-लहसुनप्याजेरियन के लिये स्पैम, "स्पैम" हो या चिकेन-कबाब, क्या फर्क पड़ता है। दोनो ही वर्जनीय हैं!
“स्पैम” का चित्र विकीपेडिया के इस पेज से।
नॉन-लहसुनप्याजेरियन😀
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स्पैम विश्लेषण ज्ञानवर्द्धक लगा। शुक्रिया।-Zakir Ali ‘Rajnish’ { Secretary-TSALIIM & SBAI }
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नित नये शब्दों के रचियता को मेरा प्रणाम
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अब लहसन और प्याज़ स्पैम में नहीं आते।:)
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इस बडिया जानकारी के लिये आभार्
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लहसून,प्याज तो शुरू हो गया है मगर कवाब से दूरी बनी हुई है।
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अब पता चला ये स्पैम क्या होता है ।
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ज्ञानजी आपने घणा ज्ञान बढ़ा दिया स्पैम के बारे में। जय हो।
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अजित वडनेरकर जी के पेट पर लात न मारिये :)वैसे बहुत अच्छा लगा यह पोस्ट पढ़कर ! धन्यवाद !
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वैसे यहां मुंबई मे जमकर बादल बरस रहे हैं। खिडकी के बाहर से बौछारें आ रही हैं….मॉनीटर पर कुछ बूंदे चमकात्मक हो रही हैं और FM पर गाना बज रहा है – टिप टिप बरसा पानी…. ऐसे माहौल में बैठे ठाले स्पैमवा के ओरिजिन की जानकारी अच्छी लगी।
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