कार्तिक में सवेरे चार-पांच बजे से स्त्रियां घाट पर स्नान प्रारम्भ कर देती हैं। इस बार इस ओर गंगाजी की कटान है और वेग भी तेज है। नहाने में दिक्कत अवश्य आती है। पर वह दिक्कत उन्हें रोकती हो – यह नहीं लगता। मैं तो सवेरे पौने छ बजे गंगा तट पर जाता हूं। बहुतContinue reading “स्त्रियों के गंगा स्नान का महीना – कार्तिक”
Monthly Archives: Oct 2009
पतझड़
कब होता है पतझड़? ऋतुयें हैं – ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमन्त वसन्त। पतझड़ क्या है – ऑटम (Autumn) शरद भी है और हेमन्त भी। दोनो में पत्ते झड़ते हैं। झरते हैं झरने दो पत्ते डरो न किंचित। रक्तपूर्ण मांसल होंगे फिर जीवन रंजित। यह ट्विटरीय बात ब्लॉग पोस्ट पर क्यों कर रहा हूं? अभीContinue reading “पतझड़”
कहीं धूप तो कहीं छाँव
यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। मैने एक बार अपने एक मित्र से मिलने का समय माँगा तो उन्होने बड़ी गूढ़ बात कह दी। ’यहाँ तो हमेशा व्यस्त रहा जा सकता है और हमेशा खाली।’ मैं सहसा चिन्तन में उतरा गया। ऐसी बात या तो बहुत बड़े मैनेजमेन्ट गुरू कह सकतेContinue reading “कहीं धूप तो कहीं छाँव”
