कटका (गांव) के लिये ब्रॉडबैण्ड की तलाश

मेरा विचार कटका/विक्रमपुर (जिला भदोही) को साल-छ महीने में सोशल मीडिया में कुछ वैसा ही प्रोजेक्ट करने का है, जैसा मैने शिवकुटी के गंगा कछार को किया था। ग्रामीण जीवन में बहुत कुछ तेजी से बदल रहा है। उस बदलाव/विकास को दर्ज करना और जो कुछ विलुप्त होता जा रहा है, उसका आर्काइव बनाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। बहुत से लोग बहुत प्रकार से यह करने में लगे हैं। मैं इसे अपने तरीके से करना चाहता हूं।

दूसरे, यद्यपि मैं राजनैतिक जीव नहीं हूं; मेरी विचारधारा केन्द्र और दक्षिण-पंथ के बीच की है। यदा कदा प्रियंकर जी जैसों के प्रभाव में वामपंथी टाइप सोच लेता हूं – पर वह एबरेशन है। मुझे यकीन है कि साम्य-समाजवाद की पंजीरी जनता में बांटने से जनता का न भला होगा, न पेट भरेगा। न रोजगार मिलेंगे और न गांव देहात से लोगों का महानगरों को पलायन रुकेगा। … जहां मैं रहने जा रहा हूं वहां पर्याप्त गरीबी/अशिक्षा/चण्टई/चिरकुटई है। भारत की सरकार अनेकानेक प्रकार से विकास की योजनायें – विशेषत: डिजिटली गांवों को एम्पावर करने की योजनायें बता रही है। उस सब के बारे में देखना, तथा अपनी सोच को गांव में टेस्ट करना और उस विषय में लिखना – यह मेरे मन में है।

यह लेखन एक अच्छी इण्टरनेट कनेक्टिविटी मांगता है। अभी वह गांव में मुझे मिलती नजर नहीं आती।

श्री करुणेश प्रताप सिंह, महाप्रबन्धक, टेलीकॉम, वाराणसी जिला।
श्री करुणेश प्रताप सिंह, महाप्रबन्धक, टेलीकॉम, वाराणसी जिला।

बेहतर नेट कनेक्टिविटी के लिये मैने एक बीएसएनएल का लैण्डलाइन फोन और ब्रॉडबैण्ड कनेक्शन लेने का निश्चय किया। तब पता चला कि गांव के उस क्षेत्र में – जहां मेरा घर बन रहा है, कोई संचार केबल नहीं गयी है। अत: मुझे महाप्रबन्धक, टेलीकॉम महोदय से मिल कर अनुरोध करना एक सही रास्ता लगा। पिछले दिनों मैं वाराणसी जिले के महाप्रबन्धक, टेलीकॉम; श्री करुणेश प्रताप सिंह जी से मिला।

करुणेश जी ने मेरी बात ध्यान से सुनी और पूरी सहायता का आश्वासन दिया। उन्होने अपने सहकर्मियों को मेरा आवेदन स्वीकार करने और उसके क्रियान्वयन के लिये त्वरित कार्रवाई करने के लिये भी कहा। इससे बेहतर की मैं अपेक्षा नहीं करता था।

बातचीत में पता चला कि करुणेश जी पास के प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं और पूर्वांचल के शहरी-ग्रामीण जीवन के बारे में उनकी पर्याप्त जानकारी भी है और अपनी सोच भी। जहां मैं ग्राम्य जीवन के बारे में नोश्टाल्जिया और स्वप्न के आधार पर चल रहा हूं, उनके पास ठोस धरातल का अनुभव दिख रहा था।

मेरे गांव में जाने के बारे में उन्होने बताया – “आप फिक्र न करें; वहां आपको अपना परिचय नहीं देना होगा। वे अब तक आपके बारे में इतना खोद-निकाल चुके होंगे, जितना आप खुद अपने बारे में नहीं जानते!।” 😆

“गांव में राजनीति करने वाले आपके बारे में व्यस्त हो जायेंगे और आशंकित भी होंगे कि कहीं आप राजनीति में तो पैठ नहीं करने जा रहे। दूसरे; कई लोग सोचेंगे कि सरकारी उच्च पद से रिटायर होने के कारण आपके पास ‘खूब’ पैसा होगा।” 

“सुरक्षा और स्वास्थ्य – ये ही मुद्दे हैं जिनपर आपको ध्यान देना है। अन्यथा बहुत से लोग हैं जो शहर से उकता कर शहर के आस-पास के गांवों में रहने की सोच रहे हैं – विशेषत: वे जिनके बच्चे सेटल हो कर अलग अलग रहते हैं।” 

करुणेश जी ने मेरी एक बड़ी समस्या – संचार और नेट कनेक्टिविटी – का समाधान का आश्वासन दे दिया था। एक इण्टरनेटीय कीड़े के लिये इससे ज्यादा प्रसन्नता की क्या बात हो सकती थी! उनसे मिल कर जब मैं लौट रहा था तो गांव में रहने के बारे में मेरे स्वप्न और पुख्ता होने लगे थे। पहले वे कुछ धुन्धले थे, अब उनके रंग चटक होने लगे थे।

सही व्यक्ति से और वे भी जो आपको बड़ी एकाग्रता से समय दे कर मिलें; इण्टरेक्शन कितनी प्रसन्नता दे सकता है। सरकारी क्षेत्र के अफसर भी ऐसे हो सकते हैं – यह अनुभूति बहुत सुखद लगी।


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

5 thoughts on “कटका (गांव) के लिये ब्रॉडबैण्ड की तलाश

  1. आप रिटायर हो गये I इस नये जीवन में भी आपकी उर्जा अनुभव आशीर्वाद हम सब को प्राप्त हो या कामना है I आप तो शिवकुटी इलाहाबाद में रहते है फ़िर यह कटका ????????

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    1. अभी रिटायरमेण्ट में कुछ दिन हैं। 30 सितम्बर को होऊंगा। शिवकुटी में भी रहूंगा और कटका में भी। अधिकतर कटका में। गांव का आनन्द लेना है।

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  2. आप रिटायर हो गये, हमें पता न चला। हमारी ओर से शुभकामनायें। आशा है आपका सार्थक सामाजिक जीवन पहले जैसा चलता रहेगा।

    साथ ही पोस्ट से अन्दाजा लग रहा है कि आप अपने रिवर्स माइग्रेशन की योजना को साकार करने जा रहे हैं।

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  3. सरकारी क्षेत्र के अफसर भी ऐसे हो सकते हैं – यह अनुभूति बहुत सुखद लगी।

    क्या आपने अपना परिचय दिया था मिलने से पहले? शायद हाँ, और शायद इसीलिए वे सुखद अनुभूति से मिले. नहीं तो बहुत संभव है कि बाहर से ही टरका दिए जाते. 🙂

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