बनवासी (मुसहरों) का भोजन रखाव

उनके पास आवास नहीं हैं। प्रधानमन्त्री आवास योजना में उनका नम्बर नहीं लगा है। गांव में जिस जमीन के टुकड़े पर वे रहते हैं वह ग्रामसभा की है। बन्जर जमीन के रूप में दर्ज। आठ परिवार हैं। गांव उन्हें लम्बे अर्से से रहने दे रहा है, उससे स्पष्ट है कि वे जरायम पेशा वाले नहीं हैं। गांव की अर्थव्यवस्था में उनका योगदान है। सस्ता श्रम उपलब्ध कराते होंगे वे।

मुसहर (बनवासी)

उनके चेहरे देखता हूं। उनमें अजिंठा-एलोरा की मुखाकृति भी दिखती है। आर्य और अनार्य का विभाजन नजर नहीं आता। आर्य और अनार्य अगर अलग अलग रेसियल समूह थे तो इन बनवासी मुसहरों में जातियों की इण्टरमिंगलिंग बहुत हुई होगी और अब भी चल रही होगी। फिर भी जाने क्यों ये गरीबी की बॉटमलाइन पर पड़े रह गये?!

खेतों में जब अनाज निकल जाता है और खलिहान में आ जाता है तब वे वहां चूहों के बिल में पानी-धुआं कर चूहों को बाहर निकाल कर पकडते हैं। वह भी उनका भोजन है। चूहों की बिलों से और खेत में बिखरे अन्न के दाने इकठ्ठा करते हैं। उससे भी कुछ काम चलता है।

मुसहरों के बरतन।

आधार कार्ड है उनके पास। आईडेण्टिटी है। वोटिंग के अधिकार की कीमत (जैसे भी और जितनी भी हो) वे समझते हैं। कंटिया लगा कर बिजली का भी जुगाड़ कर लिया है उन्होने। थोड़ा-बहुत सामान है। बरतन साफ दिखे उनके।

पर हैं वे गरीबी की तलहटी पर। गरीबों में गरीब।

उस रोज हम उन्हें कम्बल बांटने गये थे तो मैने उनके ताजा ताजा बने चूल्हे देखे। एक चूल्हा तो सामान्य से अलग डिजाइन का था। शायद प्रागैतिहासिक मानव वैसा बनाता हो। क्वासी-सांझा (quasi-community) चूल्हे जैसा था। मुख्य बात यह थी कि चूल्हे का क्षेत्र साफ सुथरा और लीपा हुआ था।

मुसहरों के चूल्हे।
गरीबी में भी एक कलात्मकता है।

कुछ भोजन बना कर उन्होने संजो कर रखा था। उनके पास कोई अलमारी-मेज जैसी चीज तो थी नहीं। आसपास के जीव जन्तुओं और कुत्तों से बचाने के लिये लकड़ी के डण्डे जमीन में गाड़ कर उसके दूसरे सिरे पर भोजन की बटुली-बरतन लटका रखे थे उन्होने।

बांस से ऊपर लटका कर रखा गया भोजन

गरीबी में भी एक कलात्मकता है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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