द मिलियनेयर नेक्स्ट डोर – पास के गांव वाले सूर्यमणि तिवारी जी


इकहत्तर साल से अधिक उम्र के व्यवसायी, तथाकथित वानप्रस्थ की उम्र में, जिस प्रकार स्टेट ऑफ टेक्नॉलजी और मार्केट पर अपने विचार रख रहे थे, वह सुन कर अपने रिटायरमेन्ट पर मुझे संकोच होने लगा.

राजकुमार उपाध्याय


राजकुमार जी से आमने सामने का कोई परिचय नहीं था. फिर भी उनके दुनियाँ के उस छोर शिकागो से आए फोन और उनके भाई जी के आ कर मिलने में आत्मीयता भरपूर झलकी. मैं उनके घर हो कर आया.

स्वर्ण प्राशन – आयुर्वेदिक वैक्सीनेशन पद्धति और तिवारी दंपति का अभियान


बच्चों के ये डाक्टर दंपति इस स्वर्ण प्राशन की दवा को बहुत कारगर पा रहे थे, इसलिए इसे अभियान के रूप में अपनाने का संकल्प लिया. अन्यथा, कोई एलोपैथिक डाक्टर किसी आयुर्वैदिक चिकित्सा की प्रशंसा करने का पाप तो कभी नहीं करता. 😁

अंत की आहट उदास करती है


डाक्टर कह रहे हैं आप कोई मिरेकल की उम्मीद न करें. अस्पताल में रखेंगे तो हम लोग केयर करेंगे ही, पर वह केयर घर में भी की जा सकती है. कुल मिलाकर वे हमें जबरी जाने को नहीं कह रहे, पर सुझाव दे रहे हैं कि यहां समय गुजरना फायदेमंद नहीं.