कल मेरे पट्टीदार श्री कृष्ण अवतार पाण्डेय जी आए. पिताजी से पांच साल छोटे. पिताजी के देहावसान पर मुझे सांत्वना देना मुख्य ध्येय था उनके आने का.
अस्सी पार हैं वे. शिक्षा विभाग में राजपत्रित अधिकारी रह चुके थे और बहुत प्रखर आदर्शवादी थे/हैं.
पिताजी के लिए उन्होंने कहा कि वे उनके रोल मॉडल थे. उस समय प्रथम श्रेणी के इंटर पास किए थे. बताया कि उनके (मेरे पिताजी के) बारे में उस समय गांव देस के माँ बाप कहते थे – उनके जैसा बनो.
पर मेरे लिए तो कृष्ण अवतार जी रोल मॉडल हैं. धारा प्रवाह सुसंस्कृत अवधी. अनेक विषयों पर कमांड और पुस्तकों का लेखन. बुढ़ापे को सम्मानजनक रुप से काटने के लिए सजग और देश काल पर सूक्ष्म अवलोकन वाली दृष्टि. मुझे लगता है कि इस अवस्था में भी वे घोर पढ़ने वाले होंगे. वे कह रहे थे कि पठन सामग्री का तो विस्फोट है आजकल. जितना पढ़ो उससे कई गुना इन्टरनेट और सोशल मीडिया थमा देता है.

उनका अंश मात्र भी बन पाया तो सौभाग्य होगा मेरा.
गांव के बारे में बताने लगे – उस जमाने में दो तीन लोग कलकत्ता गए थे और एक बम्बई. अब तो अनेक बाहर हैं. अनेक शहरों में. देस में और परदेश में भी. भांति भांति की नौकरी कर रहे हैं बाहर जा कर नौजवान. देहात में बूढ़े और पुरनियां भर बचे हैं. गांव में अब भूत चुड़ैल भी कम हो गई हैं. उनको देखने और गढ़ने वाले भी अब उतने नहीं रह गए.
करीब घंटा भर रहे वे मेरे यहां और उनके जाने के बाद मुझे लगा कि धारा प्रवाह अवधी में बोल बतियाने का संक्रमण दे गए मुझे.
प्रेरणास्पद व्यक्तित्व! 🙏