दो महीना पहले तमिलनाडु से गांव लौटे थे राजधर। वहां कोयम्बटूर में किसी धागा बनाने वाली कम्पनी में कारीगर थे। अभी वापस जाने की नहीं सोची है। “कम से कम चार-पांच महीने तो यहीं रहना है।”
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राम सेवक के बागवानी टिप्स
उनके आते ही घर के परिसर की सूरत बदलनी शुरू हो गयी है। हेज की एक राउण्ड कटिंग हो गयी है। मयूरपंखी का पौधा अब तिकोने पेण्डेण्ट के आकार में आ गया है। एक दूसरे से भिड़ रहे पेड़ अब अनुशासित कर दिये गये हैं।
पुच्चू
दुनियां में करोड़ों कमाने वाले हैं, पर किसी की सहायता के लिये दस रुपया नहीं निकालते। यहां पुच्चू अपना सब कुछ देने में एक क्षण भी पुनर्विचार नहीं करता।
