चिड़िया का घोंसला बनाम आदमी का घर


कई दिन हो गये हैं; पर रॉबिन उस चिड़ियाघर को झांकने भी नहीं आयी। अब शायद अगले साल ही लौटने की सोचे।

गिरीश केसरी का शोरूम


गिरीश जी के शोरूम से लौटते समय दो चीजें मेरे मन में छायी रहीं – एक तो गिरीश जी की विनम्रता और सज्जनता (कोई शक नहीं कि वे सफल व्यवसायी हैं), और दूसरे मध्यवर्ग के बारे में मेरा अपना बदला नजरिया।

चीनी पाण्डेय ने बनाई चिड़िया की कहानी


“उस बाग में ढेरों चिड़ियाँ रहती थीं। वहीं एक पेड़ पर बुलबुल भी रहती थी। वह सुनहरे रंग की थी। दिन में वह अकेली रहती थी। उसके माता पिता दूर कहीं काम पर जाते थे …”

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