केदारनाथ चौबे, परमार्थ, प्रसन्नता, दीर्घायु और जीवन की दूसरी पारी


उनका जन्म सन बयालीस में हुआ था। चीनी मिल में नौकरी करते थे। रिटायर होने के बाद सन 2004 से नित्य गंगा स्नान करना और कथा कहना उनका भगवान का सुझाया कर्म हो गया है।

जगत नर्सरी


नर्सरी से पौधे खरीदना आपके मायूस मन को भी प्रसन्न कर देता है। और जब वहां एक ऐसे व्यक्ति से आदान प्रदान (इण्टरेक्शन) हो, जिसे पौधों की जानकारी हो, और जो उनको अपने काम में गहराई से लगा हो, तो प्रसन्नता दुगनी-तिगुनी हो जाती है।

पचीसा


“पचीसा।” उन्होने खेलते खेलते, बिना सिर उठाये जवाब दिया। बताया कि चौबीस गोटियोँ का खेल है। दो खिलाड़ी होते हैं। काली और सफेद गोटियों वाले। हर एक की बारह गोटियाँ होती हैं।

Design a site like this with WordPress.com
Get started