#गांवदेहात में लैपटॉप सुधरवाई

मेरा लैपटॉप खराब हो गया था। कुछ दिन उसका कूलिंग फैन घुर्र घुर्र कर रहा था। फिर पूरी तरह शांत हो गया। री-बूट करने से इनकार करते हुये संदेश आने लगा कि इसका कूलिंग पंखा काम नहीं कर रहा है। आपने अगर जोर जबरदस्ती की तो लैपटॉप खराब हो सकता है और सम्भव है आपका सारा डाटा नष्ट हो जाये।

ट्विटर और फेसबुक पर खूब सलाह मिलीं। उनका सार अभिषेक ओझा की इस ट्वीट में है –

लैपटॉप खराब होने पर सुझाव।

खैर, मैंने लैपटॉप उठा कर बनारस जाने का निर्णय लिया। सवेरे अपने ड्राइवर साहब को बुला लिया कि जल्दी निकल लिया जाये। अचानक याद आया कि अपने गांव के आसपास किसी कारीगर को टटोला जाये। महराजगंज के अपने सबसे हाई-टेक मित्र दुकानदार माणिक सेठ जी को फोन लगाया तो उन्होने कहा – “अरे सर्जी, आपके बगल के गांव लसमणा में ही एक सज्जन लैपटॉप ठीक करते हैं। मैं उनसे बात कर बताता हूं।” पर दुर्भाग्य से उनके पास लसमणा के उस सज्जन का मोबाइल नम्बर खो गया था।

अंतरजाल पर लैपटॉप केयर

पर इस बात से मेरे ज्ञानचक्षु खुल गये। लगा कि अंतरजाल पर अपने आसपास सर्च कर देखा जाये – शायद कोई रिपेयर करने वाले की दुकान आसपास हो। मुझे मिर्जापुर में दर्जन भर दुकानें दिखीं। बीस किलोमीटर दूर गोपीगंज में तीन चार दुकानें नजर आयीं। एक दुकान – लैपटॉप केयर; का फोन भी जस्टडायल की साइट से लग गया। जिन सज्जन ने फोन उठाया, उन्होने कहा – “आपका सारा काम हो जायेगा, अभी दुकान खुली नहीं है। साढ़े दस बजे आइये।”

और हम बनारस जाने के लिये जल्दी नाश्ता कर, साथ में अपना टिफन बांध कर शाम तक के लिये निकलने वाले थे। पेट्रोल भी गाड़ी में पर्याप्त भरा लिया था। पर लैपटॉप केयर वाले सज्जन से बात कर वाहन गोपीगंज की ओर मोड़ दिया।

लैपटॉप केयर का काउण्टर कम रिपेयर टेबल

ज्यादा दिक्कत नहीं हुई दुकान खोजने में। वहां दुकान खुल ही रही थी। ज्यादा बड़ी दुकान नहीं थी। मेन सड़क पर नहीं, थोड़ी अंदर जा कर थी। जिन सज्जन से बात हुई थी, वे – सोनू तिवारी जी – के आने में दस मिनट और लगे। पर उन्होने आने के बाद लैपटॉप खोल कर उसका कूलिंग फैन ठीक किया, अंदर चार पांच साल से जमा धूल भी ब्रश से साफ की, चार जीबी की रैम भी और जोड़ी और एक तरफ के ठीक से काम न कर रहे फटी आवाज वाले स्पीकर को भी शांत किया।

लैपटॉप का अस्थिपंजर – प्रिण्टेड सर्किट बोर्ड

अब आठ जीबी रैम के साथ लैपटॉप वैसा हो गया है मानो चंद्रप्रभावटी+शिलाजीत का सेवन कर पुष्ट हो गया हो। स्पीकर की बांस सी फटी आवाज दूर हो गयी है। एक कान से बहरा जरूर हो गया है – एक तरफ का स्पीकर काम नहीं करता, पर आवाज साफ आती है। सोनू तिवारी जी ने बताया कि एक दो दिन में अगर उनके पास फिर ले कर जाऊंगा लैपटॉप को तो वे थोड़े से पैसे में स्पीकर भी बदल देंगे। कुल मिला कर दो दिन से जो अमेजन पर नया लैपटॉप खरीदने के लिये भांति भांति के नये यंत्रों का स्पेसिफिकेशन पढ़ने में समय व्यतीत कर रहा था, अब ब्लॉग पोस्ट लिखने में जुट गया हूं। :lol:

लैपटॉप ठीक होने पर मैं ब्लॉग पोस्ट लिखने में जुट गया हूं। :-)

गोपीगंज की वह दुकान – लैपटॉप केयर – वैसी नहीं थी जैसी बनारस की कुबेर कॉम्प्लेक्स की वातानुकूलित मॉल में होती। दुकान के बाहर घण्टा डेढ़ घण्टा मैंने बेंच पर बैठ कर बिताया। दुकान पर कोई साइनबोर्ड भी नहीं लगा था। किस प्रकार वह दुकान तिवारी बंधुओं नें जस्टडायल पर एनलिस्ट की होगी, कह नहीं सकता। सीनियर तिवारी – श्री जे सी तिवारी – ने बताया कि उनकी दुकान 2004 से है। तब वे डेस्कटॉप बेचा करते थे। ज्यादातर असेम्बल किये हुये। उस समय पूरे गोपीगंज में एक या दो कम्प्यूटर की दुकानें थीं। तब से अब तक उनका टर्नओवर भी बढ़ गया है और उससे भी ज्यादा बढ़ गया है कम्पीटीशन। बहुत सारी दुकानें आ गयी हैं। ग्राहक को बांधना/साधना कठिन हो रहा है।

ग्राहक कैसे हैं? सस्ते की मांग करने वाले। डेढ़ घण्टे में मैंने देखा कि उनमें से बहुत से कम्प्यूटर का कखग नहीं जानते, पर मोलभाव करने में उतनी ही दक्षता से बात कर रहे थे मानो एक पंसेरी आलू खरीद रहे हों। एक सज्जन ने साढ़े आठ सौ की चीज मोलभाव कर सात सौ में तय की, पर कैश मेमो बनवाते समय अड़ गये कि बिल तो साढ़े आठ सौ का ही चाहिये। और वह भी स्टाम्प लगा हुआ बिल!

सोनू तिवारी (बांंये) और जेसी तिवारी

तिवारी सीनियर (जेसी तिवारी) की दुकान चलाने की क्षमता और तिवारी जूनियर (सोनू तिवारी) की लैपटॉप सुधारने की कारीगरी मुझे पसंद आयी। यद्यपि तिवारी द्वय ने मेरा बिल एक चवन्नी भी कम नहीं किया; पर मैं इसी से ही प्रसन्न था कि मुझे किसी काम के लिये शहर नहीं जाना पड़ा।

मेरे व्यक्तित्व में कोई अड़ियल तत्व है जो शहर जाने के प्रति अरुचि रखता है। बनारस की तुलना में गोपीगंज एक कस्बाई बाजार है। और उसमें भी काम चल गया; उससे ज्यादा जीडी को और क्या चाहिये। लैपटॉप ठीक करा कर दो घण्टे में मैंं घर आ चुका था। बनारस गया होता तो दो घण्टे में दुकान तक ही पंहुचा होता।

यही होना चाहिये! बाजार को गांवदेहात के पास पंहुचना चाहिये!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

4 thoughts on “#गांवदेहात में लैपटॉप सुधरवाई

  1. Bahot kam ki Jankari hai ye waise internet ke liye mobile par nirbhar hai ya koi connection bhi milta hai waha par

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