घाघ केवल गांव में रहने वाले अनाम से जन कवि नहीं थे। वे हुमायूं और अकबर से मिले थे। अकबर ने प्रसन्न हो कर उन्हे कई गांव और चौधरी की उपधि दी थी। उन्होने कन्नौज के पास “अकबराबाद सराय घाघ” नामक गांव बसाया।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
घाघ केवल गांव में रहने वाले अनाम से जन कवि नहीं थे। वे हुमायूं और अकबर से मिले थे। अकबर ने प्रसन्न हो कर उन्हे कई गांव और चौधरी की उपधि दी थी। उन्होने कन्नौज के पास “अकबराबाद सराय घाघ” नामक गांव बसाया।