6 सितम्बर 2021:
सोशल मीडिया के माध्यम से जिज्ञासा तो जगी है लोगों में प्रेमसागर पाण्डेय के प्रति; उनको सहायता भी मिलने लगी है।
वे नोकिया के पुराने साढ़े चार इंच वाले स्मार्टफोन के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा कर रहे हैं। उस फोन की बैटरी कभी डिस्चार्ज हो जाती है। सुधीर पाण्डेय जी को लगा कि इसका समाधान एक पावर बैंक और एक फीचर फोन में है। उन्होने प्रेमसागर जी को कॉण्टेक्ट किया। उनको रास्ते में किसी मोबाइल की दुकान में जाने को कहा। मोबाइल की दुकान से प्रेम सागर जी को ये उपकरण मिल गये और उनका पेमेण्ट ऑनलाइन सुधीर पाण्डेय ने किया।
जिस स्थान पर प्रेम सागर जी ने मोबाइल दुकान देखी और जिस दुकानदार से खरीद की, उसके बारे में भी बताया है। वह स्थान है खतकरी। दुकानदार हैं ज्ञानेंद्र तिवारी। ज्ञानेंद्र जी ने सेल्फी भी ली उनके साथ।
एक छोटी जगह खतकरी में ज्ञानेंद्र तिवारी जी की दुकान में अमेजन पे और भीम एप्प/फोन पे का स्कैन करने का जुगाड़ सामने दिख रहा है चित्र में। कितना जबरदस्त स्टोरी है, भारत के कैशलेश रिवोल्यूशन की। आपने क्या नोटिस किया? इसी कैशलेस स्टोरी की बदौलत वे दमण के सुधीर जी से पैसा ले कर प्रेम सागर जी को मोबाइल बेच पाये हैं!
सुधीर जी, जिनके सौजन्य से प्रेम सागर जी को फीचर फोन और पावरबैंक मिला, उनकी बात कर ली जाये। वे दमण और दीव केंद्र शासित प्रदेश के जनजातीय मामलों के नोडल अधिकारी हैं। मूलत: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के रजवाड़ी के रहने वाले हैं – जैसा उनके ट्विटर अकाउण्ट से पता चलता है। उन्होने मुझसे प्रेम सागर जी का फोन नम्बर लिया और प्रेम सागर से स्वयम बातचीत कर इस सहायता को साढ़े बारह सौ किलोमीटर दूर से सम्पन्न कराया। सुधीर इसी मामले में ही नहीं, वैसे भी सम्वेदनशील प्राणी हैं। यह उनके ट्विटर हैण्डल से पता चलता है।
मुझे यकीन है कि सुधीर जी जैसे अन्य कई लोग होंगे जो अपने प्रकार से प्रेमसागर जी के इस पदयात्रा-यज्ञ में अपना योगदान करना चाहेंगे। मेरे बंधु प्रवीण चंद्र दुबे तो हैं ही, जो अपने वन विभाग के सम्पर्कों के माध्यम से प्रेमसागर जी की यात्रा को सुगम बनाने के लिये प्रयास कर रहे हैं। कल नीरज रोहिल्ला जी ने एक टिप्पणी में अपने विचार रखे –
प्रेमजी और आपकी दोनों की जय जय। मेरे जैसे लोग जो धार्मिक कर्मकांडो (जगराते, हवन वगैरह) में विश्वास नहीं रखते हैं लेकिन प्रेमजी जैसे लोगों के संकल्प और उनको निबाहने के कठोर श्रम से भाव-विभोर हो जाते हैं, उनको इस पोस्ट से जो सम्बल मिलता है उसे व्यक्त करना मुश्किल है।इसके अलावा ये सोशल मीडिया और आपके अपने एक व्यक्तित्व का अनूठा पहलू है। सोशल मीडिया के अनेकों नकारात्मकता के बाद उसका इस पहलू को उजागर करना के एक आम इंसान का मन अच्छा ही है, जमाने को लोग कितना भी खराब कहें। …
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
प्रेम सागर के चित्र उस इलाके के बारे में बहुत कुछ नहीं कहते, जिससे ट्रेवलॉग को बहुत खाद-पानी मिल सके। वे जिन स्थानों का जिक्र करते हैं, मैं उन्हो गूगल मैप पर देख कर उनके चित्र लोगों द्वारा पोस्ट किये देख कर इलाकों का अनुमान लगाता हूं। मसलन खतकरी, जहाँ प्रेम जी ने मोबाइल लिया, वहां का एक घर का चित्र मैप पर है –
मिट्टी का मकान और खपरैल की नीची छत। किसी हिस्से पर टीन की पैचिंग भी कर दी गयी है। मकान के डिजाइन में यहां पूर्वांचल से अंतर दिखता है। यहां खपरैल तो लगभग गायब ही हो गया है। नरिया-थपुआ पाथने वाले कुम्हार रहे ही नहीं। मध्यप्रदेश के उस हिस्से में मिट्टी, खपरैल और पटिया का प्रयोग (ईंट की बजाय) होता है, यह लगता है। शायद यहां की तरह वहां हर 500मीटर पर ईंट भट्ठे न हों और उनके कारण होने वाला प्रदूषण भी न हो।
और आप जरा मुख्य द्वार पर एक आर्च का अवलोकन करें। एक साधारण से झोंपड़े नुमा मकान में भी इस तरह का आर्कीटेक्चर होता है! बहुत सुंदर!
मैं सोचता था कि प्रेम सागर जी से इस प्रकार के इनपुट्स मिलते तो कितना अच्छा होता! पर प्रेम सागर जी का मूल ध्येय तीर्थाटन है। वे इस प्रकार की मनस्थिति ले कर यात्रा कर ही नहीं रहे! 🙂
शाम पांच बजे उनसे बात हुई। उन्होने बताया कि आज वे 15 किलोमीटर ही चल पाये। रास्ते में बारिश हो गयी। अब वे एक मंदिर में रात गुजारेंगे। मंदिर शिवाला नहीं है – विष्णु भगवान का है।
पर शायद विष्णु भगवान को शिव भक्त को आश्रय देना रास नहीं आया। मंदिर वालों ने कहा कि यहां बिजली नहीं रहती। मच्छर बहुत हैं। रात में आप परेशान हो जायेंगे। शायद बीमार भी पड़ जायें। … बारिश रुक गयी थी, तो प्रेम सागर आगे चल दिये और उन्हें वन विभाग के एसडीओ कार्तिक नायक साहब के घर (लालगंज) में रुकने का स्थान मिला। दस किलोमीटर आगे चलने पर शिवजी की कृपा से रात गुजारने का चहुचक इंतजाम रहा। कार्तिक नायक जी को अजीब लगा कि इतना चलने वाला व्यक्ति इतना अल्प भोजन करता है। नायक जी के साथ उनका चित्र और उनके द्वारा दिये गये शयन कक्ष का चित्र नीचे है।
7 सितम्बर 2021:
रात बढ़िया कटी प्रेम सागर की। आज सवेरे पांच बजे वे निकल लिये आगे के लिये। आज उनका देवतलाब पंहुचने का लक्ष्य है। वहां बड़ा शिव मंदिर है। सावन-भादौं में वहां चहल-पहल रहती है। प्रेम जी ने बताया कि मौसम अच्छा है। वन विभाग के लालगंज इलाके में दो किलोमीटर तक रास्ता खराब है, पर आगे हाईवे मिल जायेगा।
चरैवेति, चरैवेति! हर हर महादेव!
मेरी पत्नीजी का कहना है कि प्रेम सागर जी की यात्रा को ले कर मैं कुछ ज्यादा ही ऑब्सेस्ड हूं। उन सज्जन को अपने हिसाब से चलते-घूमते रहने देना चाहिये। यह विचार रखना कि उनके साथ यहां बैठे बैठे खुद भी यात्रा कर रहे हो, उस व्यक्ति की प्राइवेसी में ज्यादा ही खलल है। उसके कारण अपना और काम, और लेखन होल्ड पर कर लिया है। वह भी ठीक नहीं है।
बकौल पत्नीजी के – गो स्लो। धीरे चलो जीडी। प्रेमसागर जी के बारे में लेखन की आवृति कुछ कम करो। … मैं अपने बारे में तय नहीं कर पा रहा हूं। यह तो है कि प्रेम सागर जी का तीर्थ-पर्यटन व्यवस्थित हो गया है। लोग जान गये हैं। उतना भर ही धेय होना चाहिये था मेरा। आखिर यात्रा एक डेढ़ साल चलनी है। उसके बारे में लिखने की आवृति दीर्घ काल के हिसाब से तय करनी चाहिये।
ट्विटर पर उमेश जी की एक टिप्पणी –
निम्न टिप्पणियाँ ट्विटर पर –
शशि सिंह – आपके ब्लॉग का अब इंतजार हम सबको रहने लगा है।प्रेमसागर जी की सहयात्री हम सब बन गए हैं। आपके इस प्रयास और पुण्य कार्य को नमन।
उमेश – मैं अकेले ही चला था जानिब ए मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया..
सर, प्रेम जी की यात्रा में लोगों को जोड़ने का काम निश्चित तौर पर आप ने ही किया है। महादेव की कृपा से ही आपके द्वारा कावड़ यात्रा का ग्रंथ तैयार हो रहा है।
प्रेम जी के लिए खुद ऐसा करना शायद ऐसा संभव ना होता।
सुधीर पाण्डेय – Mahdev ji bhola bahndari hai ,apne bhkat Shri Premji ko kisi prakar ka kast nahi hone denge .Hum log to unke rah ke mil ka pathhar hai .Jo milte hai Prem ji ko ve ruk jate hai, aram karte aur hum ko bhole babk ki bhakti ka patha padakar apne marg par subha nikla jate hai.
आई-डोण्ट-नो (अनाम) – यह जानकर बहुत अद्भुत लगा। महादेव का ही ये आशीर्वाद है, के उनके भक्त को आपसे अनायास मिलवा दिया और आप अपनी तरफ़ से एवं आपके फ़ॉलोअर अपनी तरफ़ से प्रेमसागर जी की यात्रा को यथासम्भव सहायता करके उनकी यात्रा को सुगम बनाने का प्रयत्न कर रहे है।
महादेव की कृपा बस यूँही बनी रहे (1/n)
2. यात्रा लम्बी चलनी है, तो आप प्रेम सागर जी से रेगुलर टच में रहिए एवं सभी ब्योरा आप अपने पास डायरी में रख लीजिए। हम फ़ालोअर्ज़ के लिए सुविधा एवं आपके लिए असुविधा ना हो, तो उसके लिए आप सप्ताह के एक या दो दिन फ़िक्स कर लीजिए, एवं उस दिन पोस्ट & podcast डाल दीजिए (3/n)
3. आप प्रेमसागर जी से whatsapp पर फ़ोटो एवं वोईस मेसिज मंगाइए एवं अगर उन्हें प्राइवसी इशू ना लगे तो वो अपना लोकेशन ऑन करके पर्मनेंट्ली आपके साथ शेर कर सकते है। इस तरह ना सिर्फ़ आप कभी भी उनकी लोकेशन जान पाएँगे। आप उन्हें रास्ते का गाइड या दूसरी हेल्प भी मुहैया करवा सकेंगे (4/n)
इस तरह उनकी अगली लोकेशन अगले 2-3 दिन की अगर chalkout हो सके तो फ़ालोअर्ज़ के माध्यम से यथा सम्भव रहने, सोने, खाने, दवा इत्यादि का प्रबंध कर सकेंगे।
महादेव ने आपको ये भले काम के लिए चुना है सर।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतेज़ार रहेगा
भवदीय
आपके पोत्र समान
(5/5 ends)
क्या पता ये सब यात्रा का लेखा जोखा डिजिटल सम्भाल कर, यात्रा सम्पूर्ण होने पर एक बुक पब्लिश कर सके, आप एवम् प्रेम सागरजी…
हम उत्सुक रहते है ये ब्लॉग पढ़ने को।
प्रवीण पाण्डेय – Replying to
@iknowudontwhy
and
@GYANDUTT
बड़ा ही सशक्त विचार है आपका। यह नयी विधा कही जायेगी, “डिजिटल सहयात्रा”।
LikeLiked by 1 person
निम्न टिप्पणियाँ फेसबुक पेज पर –
अश्विन पाण्ड्या – सरजी, लिखते जाईये, सभी पाठकोकोभी यात्राका एहसास होता है।
कृष्ण देव – आपके अगियाविर उत्खनन पोस्टो को पढ़ कर हम कुछ मित्र उत्खनन स्थल देख आये थे , इस यात्रा लेखन को पढ़ कर बड़ा आनंद आ रहा है , इश्वर का साक्षात् अनुभव हो रहा है।
धीरेंद्र कुमार शुक्ल – महोदय सादर चरण स्पर्श प्रणाम। वस्तुतः आज तक में आपके सभी ब्लॉग पढ़ता आया हूं आप की उत्कृष्ट लेखन शैली ने प्रतिदिन आपका ब्लॉक देखने के लिए मजबूर कर देती है किंतु जब से आपने प्रेम सागर जी के बारे में लिखना शुरू किया है तो दिन में न जाने कितनी बार देखने को प्रयासरत रहता हूं आप प्रेम सागर जी के साथ मानसिक यात्रा पर हैं और शिव जी की आप पर महती की कृपा है।
सुरेश शुक्ल – प्रेमसागर पांडे जी की द्वादश ज्योतिर्लिंग की पैदल-पैदल शिवयात्रा का ट्रेवलाग रोचक है, हां इसकी आवृत्ति हर तीसरे दिन या साप्ताहिक कर सकते हैं, या प्रेमसागर पांडे जी से कोई महत्वपूर्ण अथवा आकस्मिक सूचना मिलने पर।
LikeLiked by 1 person
नये प्रयोग में रुकना ठीक नहीं है। “डिजिटल सहयात्रा” की यह विधा विस्तार और वैविध्य माँगती है। आपके कथ्य और प्रेमजी के दृश्य और हम सबका श्रव्य।
LikeLiked by 2 people
जय हो!
LikeLiked by 1 person
यह ट्रेवेलॉग या यात्रा संस्मरण अपने किस्म का अनूठा है. एक यात्रा कर रहा है और दूसरा दूरस्थ, एक स्थान से जीवंत विवरण दर्ज कर रहा है – बेहद दिलचस्प.
मुझे भी यही लगता है कि भले ही स्लो हो जाए, परंतु इस पर लेखनी रुकनी नहीं चाहिए. साल भर में तो और भी बहुत सी रोचक चीजें निकल कर आएंगी. वैसे भी, यदि नित्य ही आपके पास इनपुट आ रहा है तो उसे नित्यप्रति दर्ज करने में क्या हर्ज?
LikeLiked by 1 person
आपका यह कहना सही लगा –
मुझे भी यही लगता है कि भले ही स्लो हो जाए, परंतु इस पर लेखनी रुकनी नहीं चाहिए.
🙏
LikeLiked by 1 person
प्रेमसागर पांडे जी की द्वादश ज्योतिर्लिंग की पैदल-पैदल शिवयात्रा का ट्रेवलाग रोचक है, हां इसकी आवृत्ति हर तीसरे दिन या साप्ताहिक कर सकते हैं, या प्रेमसागर पांडे जी से कोई महत्वपूर्ण अथवा आकस्मिक सूचना मिलने पर।
LikeLiked by 1 person
जी हां. बड़ी पोस्ट सप्ताह में नियत दिन पर और facebook twitter post यथा समय….
LikeLike
केवल मुझे ही नही अन्य लोगो को भी आनंद आ रहा है कृपया इस प्रकरण पर लेखन कम न करें
LikeLiked by 1 person
जी, ध्यान दूँगा आपके कहे पर।
LikeLike