रेलवे के तीन दशकों से भी ज्यादा के गहन और थकाऊ अनुभव के बाद अब रेल से मेरा जुड़ाव मेरे घर के पास के एक रेलवे लेवल क्रॉसिंग तक ही सिमट गया है। इसकी दशा-दुर्दशा से कष्ट होता रहा है। उसके निवारण के लिये मैं मण्डल रेल प्रबंधक महोदय से मिला था।
समपार फाटक पर रेल लाइन और सड़क का रखरखाव उम्दा होना चाहिये। रेल और सड़क मार्ग का मिलान यहीं होता है और दुर्घटनायें भी यहीं ज्यादा होती हैं। रोज वहां से गुजरने के कारण मुझे अपनी ही फिक्र होती है कि कहीं मेरी साइकिल डगमगा कर गिरे और इस उम्र में मुझे किसी फ्रेक्चर का सामना करना पड़े।

उसके पास की सड़क बहुत खराब है। पटरियों की चेक रेल के बीच तथा फाटक सीमा में आसपास की सड़क पर रखरखाव की दिक्कत के कारण वहां हेक्सागोनल ब्लॉक लगाये गये थे। पर उन मोटे सीमेण्ट-कॉन्क्रीट के टुकड़ों को एक अनुशासन के साथ जमाया जाता है। वह कुशलता कर्मियों में नहीं थी। वे हेक्सागोनल ब्लॉक समस्या का समाधान कम, उससे बड़ी समस्या बने हुये थे।
मण्डल रेल प्रबंधक जी के आदेश से कर्मचारियों ने वे षटकोणीय पाषाण एक बार निकाल कर पुन: बिछाये जरूर, पर कुशलता की कमी के कारण कुछ महीनों में वे जस के तस हो गये। सड़क का रखरखाव तो खैर हुआ नहीं। शायद वह आरवीएनएल को करना हो।

कुछ दिन पहले मैंने देखा कि शायद रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग को लग गया है कि हेक्सागोनल ब्लॉक बिछाना और उसका रखरखाव (अच्छे से बिछाया जाये तो यह बहुत कम रखरखाव मांगता है) टेढ़ा काम है। उन्होने सारे ब्लॉक्स निकाल कर किनारे फैंक दिये हैं। फाटक के बीच और चेक रेल के बीच भी गिट्टी बिछा दी गयी है। शायद सड़क का डामरीकरण किया जायेगा। अलकतरा वाली सड़क बनाई जायेगी।
किनारे फेंके हेक्सागोनल ब्लॉक्स को देख कर मेरी पत्नीजी को लालच होता है। “पीडब्ल्यूआई साहब इन ब्लॉक्स का क्या करेंगे? लोग एक एक कर उठा ही ले जायेंगे। मुझे दस ब्लॉक्स क्यों नहीं दे देते? तुम एसएस साहब को बोलो न! इन ब्लॉक्स के ऊपर मेरे गमले अच्छे से रखे जा सकेंगे।” – जब भी वहां से हमारा वाहन गुजरता है, मेम साहब लालच से उन ब्लॉक्स को देखती हैं। मैं उन्हें अनदेखा करता हूं।

रिटायरमेण्ट के बाद किसी को कोई अनुरोध करने का मन नहीं होता। और किसी चीज को मांगने का तो बिल्कुल नहीं। मेरा मन अनासक्त हो गया है पर पत्नीजी की आसक्ति अपने बगीचे को संवारने में है। वे बार बार कहती हैं – “आखिर ये ब्लॉक्स उनके किसी काम की चीज तो होंगे नहीं!”
मैं कोई अनुरोध किसी से नहीं करता। बहुत बदल गया हूं सेवानिवृत्ति के बाद। जिस विभाग में आदेश चलते रहे हों, वहां अनुरोध क्या करना व्यक्तिगत रूप से!
गांव के लोग और मेरे पुराने रेलवे के इंस्पेक्टर लोग बताते हैं कि मेरे निरीक्षण नोट के आधार पर ही यह लेवल क्रॉसिंग अपग्रेड हो कर गेट मैन युक्त बना था। दो दशक पहले की बात होगी वह। अब उसी लेवल क्रॉसिंग पर गुजरते हुये अंदेशा रहता है कि कहीं मेरी साइकिल का बैलेंस न बिगड़ जाये। 😦
समय का चक्र है – कभी गाड़ी नाव पर, कभी नाव गाड़ी पर। सैलून से साइकिल तक का समय चक्र! 🙂
Good to know that you continue to stay in your village afyer retirement and are enjoying the beauty of the Ganges. I too have heard that Mr Ramashrey Pandey, DRM BSB, is a good person. Surely, he will help you out. Best wishes….Rajiv Misra
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धन्यवाद सर!
दो दिन से देख रहा हूं कि लेवल क्रॉसिंग का काम लगभग पूरा हो गया है। उसका तल समतल हो गया है।
रामाश्रय जी निश्चय ही सज्जन व्यक्ति हैं!
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