नेवादा – सिकंदरा – टोला डुमरी


गया के आसपास की धरती शापित है। प्रेमसागर यह बार बार कहते हैं। नदियों में पानी नहीं है। पर शाप का असर बहुत धीरे धीरे कम हो रहा है। लोग कहते हैं कि बीस कोस तक शाप था सीता माई का। पर उससे ज्यादा दीखता है।

दिनेश पगला


ऐसे चरित्र रोज रोज नहीं मिलते। पहले मुझे लगा कि वह कुछ मानसिक रूप से सरका हुआ है। पर उसने बताया कि गांव के आसपास के भगत लोगों के साथ उत्तराखण्ड, झारखण्ड, गया आदि कई जगहों पर पैदल यात्रा कर चुका है।

वजीरगंज से नेवादा


दिन में जो भी नदियां दिखीं, सब बड़े पाट वाली और चौड़ी। सब में एक बूंद पानी नहीं। फालगू नदी को तो सीता जी ने शाप दिया था, पर लगता है आसपास की सभी नदियों को वह शाप कस कर लगा है। नदियों में कुशा, कास, सरपत जैसी वनस्पति दीखती है।

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