मुम्बई में सबर्बन लोकल ट्रेनों में कम्यूट करने वाली महिलाओं की अपेक्षा ये ज्यादा आपसी बोलचाल में व्यस्त लगती हैं। निश्चय ही उनसे ज्यादा प्रसन्न दीखती हैं। विपन्नता और प्रसन्नता में कोई व्युत्क्रमानुपाती सम्बंध नहीं होता।
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
पारसिंग का बकरा
“मम्मी, एक बकरा था मेरा। बहुत अच्छा था। मम्मी, क्या बताऊं, आज वह मर गया। घर पर उसकी लाश पड़ी है। उसे दफनाने के पैसे नहीं हैं। आप मम्मी बस सौ रुपये दे दें तो उसे दफना दूं।” – पारसिंग बोला।
पारसिंग की याद
पारसिंग जब हमारे घर काम करने आता था तो मेरी पत्नीजी का पहला सवाल होता था – पारसिंग, दारू पीना बंद किया कि नहीं?
और पारसिंग का स्टॉक रिप्लाई होता था – अरे मम्मी मैं तो छूता भी नहीं। सामने हो तो उसमें आग लगा दूं।
