मुझे झेंप आती है कि मेरे पास विदर्भ की समस्या का कोई, बेकार सा ही सही, समाधान नहीं है। वैसे बहुत विद्वता पूर्ण कहने-लिखने वालों के पास भी नहीं है। सरकार के पास तो नहियंई है। वह तो मात्र कर्ज माफी का पेड़ लगा कर वोट के फल तोड़ना चाहती है। हमारे साथी अधिकारी श्रीयुतContinue reading “विदर्भ की आत्महत्याओं का तोड़ (वाकई?)”
Category Archives: आत्मविकास
दीपक पटेल जी की सोच
दीपक पटेल जी कौन हैं – पता नहीं। मेरी राजभाषा बैठक के दौरान इधर उधर की वाली पोस्ट में बापू के लिखे के अनुवाद पर उनकी रोमनागरी में हिन्दी टिप्पणियां हैं। कोई लिंक नहीं है जिससे उनका प्रोफाइल जाना जा सकता। पर उन्होनें जो टिप्पणियों में लिखा है; उसके मुताबिक वे बहुत प्रिय पात्र लगतेContinue reading “दीपक पटेल जी की सोच”
भय, विश्वास और कर्मयोग
हर एक के जीवन में अवसर आते हैं जब नयी अपेक्षायें होती हैं व्यक्ति से। नेतृत्व की विविधता की आवश्यकता बनती है। पर लोग उसे फेस करने या उस पर खरा उतरने से बचते हैं। बहुत कुछ अर्जुन विषाद की दशा होती है। जब कर्म की अपेक्षा होती है तो मन उच्चाटन की दिशा मेंContinue reading “भय, विश्वास और कर्मयोग”
