करछना की गंगा


मैने देखा नहीं करछना की गंगा को। छ महीने से मनसूबे बांध रहा हूं। एक दिन यूं ही निकलूंगा। सबेरे की पसीजर से। करछना उतरूंगा। करछना स्टेशन के स्टेशन मास्टर साहब शायद किसी पोर्टर को साथ कर दें। पर शायद वह भी ठीक नहीं कि अपनी साहबी आइडेण्टिटी जाहिर करूं! करछना अकेले ही चल दूंगाContinue reading “करछना की गंगा”

मोहम्मद यूसुफ धुनकर


मेरे मोहल्ले के पास जहां खंडहर है और जहां दीवार पर लिखा रहता है “देखो गधा पेशाब कर रहा है”; वहां साल में नौ महीने जानी पहचानी गंघ आती है पेशाब की। बाकी तीन महीने साफ सफाई कर डेरा लगाते हैं रुई धुनकर। नई और पुरानी रुई धुन कर सिलते हैं रजाई। मैं रुई धुनContinue reading “मोहम्मद यूसुफ धुनकर”

सर्विसेज


मेरी पत्नीजी अपने परिवेश से जुड़ना चाहती थीं – लोग, उनकी समस्यायें, मेला, तीज-त्योहार आदि से। मैने भी कहा कि बहुत अच्छा है। पर यह जुड़ना किसी भी स्तर पर पुलीस या प्रशासन से इण्टरेक्शन मांगता हो तो दूर से नमस्कार कर लो। इस बात को प्रत्यक्ष परखने का अवसर जल्द मिल गया। वह वर्दीContinue reading “सर्विसेज”

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