बीरबहूटी, रेड वेलवेट माइट या भगवान जी की बुढ़िया ग्रामीण परिवेश से जुडे पाठको ने तो चित्र देखकर ही इसे पहचान लिया होगा पर शहरी पाठकों के लिये इस जीव को जान पाना मुश्किल है। अभी जैसे ही मानसूनी फुहार आरम्भ होगी नदियों के आस-पास नरम मिट्टी मे लाल मखमली चादर फैल जायेगी। असंख्य छोटे-छोटेContinue reading “"भगवान की बुढ़िया" खतम होने के कगार पर”
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काक्रोचित अनुकूलन की दरकार
धरती का वातावरण पलट रहा है। गर्मियां आते ही ग्लोबल वार्मिंग का मन्त्रोच्चार प्रारम्भ हो जाता है। किसी दिन ग्रिड बैठ जाये तो यह मन्त्रोच्चार और भी नादमय हो जाता है। सर्दियों के आगमन पर निकट भविष्य में हिम युग आने की बात पढ़ने में आती है। गंगा मर रही हैं। एक पूरी पीढ़ी देवContinue reading “काक्रोचित अनुकूलन की दरकार”
मच्छरों से बचाव में प्रभावी वनस्पतियां
आज की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट में श्री पंकज अवधिया मच्छरों से बचाव के लिये अनेक जैविक विकल्पों की चर्चा कर रहे हैं। ये जैविक विकल्प बहुत आकर्षक लगते हैं। मुझे अपनी ओर से कुछ जोड़ना हो तो बस यही कि आदमी सफाई पसन्द बने तथा पानी को आस-पास सड़ने न दे। बाकी आप अवधिया जीContinue reading “मच्छरों से बचाव में प्रभावी वनस्पतियां”
