बंसी कलकत्ता में सम्भवत: ड्राइवर थे। बंगाल में कहीं वे शांति के सम्पर्क में आये होंगे और उनसे विवाह कर अपने गांव वापस लौटे। गांव में उन्हे स्वीकार नहीं किया गया। तब बंसी के मामा, बद्री साधू ने उन्हें अपने यहां आश्रय दिया।
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आज गांव और #गांवपरधानी
“नेता लोगन क बहुत कपड़ा धोवात-कलफ-प्रेस करात हयें। फुर्सत नाहीं बा (नेता लोगों के आजकल प्रधानी चुनाव के कारण बहुत कपड़े धुलाई-कलफ लगाई और प्रेस कराई के लिये मिल रहे हैं। फुर्सत नहीं मिल पा रही)।”
सुंदर नाऊ की पतोहू #गांवपरधानी उम्मीदवार
साल भर बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। यद्यपि प्रधानी का चुनाव पार्टी आधार पर नहीं हो रहा पर हर एक पार्टी अपने अपने पक्ष के प्रधान जितवाने का जोर लगायेगी। और ऐसा नहीं कर रही तो जल्दी ही करेगी भी। इस लिये सुंदर नाऊ की सिधाई की अपनी सशक्त ब्राण्ड वैल्यू है!
