ऐसे चरित्र रोज रोज नहीं मिलते। पहले मुझे लगा कि वह कुछ मानसिक रूप से सरका हुआ है। पर उसने बताया कि गांव के आसपास के भगत लोगों के साथ उत्तराखण्ड, झारखण्ड, गया आदि कई जगहों पर पैदल यात्रा कर चुका है।
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गांव में बदलता जल प्रबंधन का दृश्य
सड़क और पाइप से जल अगले चुनाव के पहले तो हो ही जायेंगे। […] कुल मिला कर अगले चुनाव में इन सब के बल पर फ्रण्ट-फुट पर खेलेगी और सरकार का विरोध करता विपक्ष किसी को अपनी आलोचना से अपने पक्ष में नहीं कर पायेगा।
दैनिक दूध के विकल्प की तलाश
दैनिक जरूरतें हैं – आटा, दाल, चावल, सब्जी, दूध। जब इनकी कीमतें बढ़ती हैं तो उनको सस्ता पाने के विकल्प तलाशने में लग जाते हैं हम। यह पोस्ट उसी कवायद पर है।
