वे दम्पति भारत के उस पक्ष को दिखाते हैं जो जाहिल-काहिल-नीच-संकुचित है। भारत अगर प्रगति नहीं करता तो ऐसे लोगों के कारण ही।
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जैतूना से बदामा खातून – मनिहारिन की पीढ़ियाँ
नूरेशां और बदामा – दोनो में कई समानतायें हैं। दोनो महिलाओं के सामान का सेगमेण्ट डील करती हैं। दोनो महिलायें हैं तो उनसे महिलायें सहजता से बातचीत करती हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और मुनीबाबा की पूजा
किशोर वय की लड़कियां थीं। वे यह पूजा-अनुष्ठान किस लिये करती होंगी? हर व्यक्ति कोई न कोई ध्येय गंगा स्नान और पूजा से जोड़ता है। उनके सामने क्या ध्येय होगा?
