छोटी सी लड़की मुझे किताब नहीं पढ़ने दे रही। नन्दन निलेकनी की पुस्तक में अंग्रेजी और उसके कारण बन रहे रोजगार के अवसरों पर पढ़ मैं फिर कुछ विवादास्पद सोच रहा हूं। हिन्दी अब भी रोजगारप्रदायिनी नहीं है। ढेरों बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिंग के जॉब भारतीयों को अंग्रेजी की जानकारी से मिले हैं। …. पर वहContinue reading “आपको क्या प्रॉबलम है?!”
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कुछ पुरानी पोस्टें
यह कुछ पुरानी पोस्टें हैं। “मानसिक हलचल” में लेखन विविध प्रकार के हैं। ये तीनों पोस्ट विविध दिशाओं में बहती ठहरी हैं। आप देखने का कष्ट करें। इन्दारा कब उपेक्षित हो गया? बचपन में गांव का इँदारा (कुआँ) जीवन का केन्द्र होता था. खुरखुन्दे (असली नाम मातादीन) कँहार जबContinue reading “कुछ पुरानी पोस्टें”
टूटा मचान
टूटा मचान खूब मचमचा रहा है। सदरू भगत चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं उसकी टूटी मचिया पर। पर जितनी बार ट्राई मारते हैं, उतनी बार बद्द-बद्द गिरते हैं पठकनी के बल। आलू-परवल का चोखा खा कर इण्टेलेक्चुअल बनने चले हैं लण्ठ कहीं के! सदरुआइन बार बार कहती हैं कि तोहरे सात पुश्त में कौनोContinue reading “टूटा मचान”
