पत्रिका, पुस्तक या ब्लॉग की पठनीयता में भाषा की शुद्धता या कसावट एक एक पक्ष है। विचारों में दम होना दूसरी बात है। प्रस्तुतिकरण का एक तीसरा पक्ष भी है। इसके अलावा लिंक दे कर अन्य सन्दर्भ/सामग्री तक पाठक को पंहुचाने और अन्य तकनीकी उत्कृष्टता (ऑडियो/वीडियो/स्लाइडशो आदि) से पाठक को संतृप्त करने की क्षमता इण्टरनेटContinue reading “पठनीयता क्या है?”
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काले बगुले?
लगता है मछलियां बहुत ले आई हैं गंगाजी। श्री अरविन्द मिश्र जी की माने तो टिलेपिया मछली। मछेरे बहुत गतिविधि कर रहे थे परसों शाम उथले पानी में। और कल सवेरे सवेरे ढेरों पक्षी दिखे। गंगा किनारे रहने वाले सफेद बगुले तो वही इक्का-दुक्का थे। पर कुछ सफेद सारस और ढेरों काले बगुले जाने कहांContinue reading “काले बगुले?”
एक वृद्ध का ब्लॉग?
सुन्दरलाल बहुगुणा कहते हैं कि उनकी जिन्दगी के दौरान ही गंगा में पानी आधा हो गया। अखबार में उनकी फोटो में सन जैसे सफेद दाढ़ी मूछों वाला आदमी है। मैं बहुगुणा को चीन्हता हूं। पर वे अब बहुत बूढ़े लगते हैं चित्र में। वे चिपको अन्दोलन के चक्कर में अखबार में आते थे। और मैंContinue reading “एक वृद्ध का ब्लॉग?”
