चक्रीय ताल की दिनचर्या


आगे के जीवन के बारे में नजरिया बदला लगता है। पहले जीवन की दीर्घायु के लक्ष धुंधले लगते थे; अब उनमें स्पष्टता आती जा रही है। नकारात्मकता को चिमटी से पकड़ कर बाहर निकालने की इच्छा-शक्ति प्रबल होती जा रही है।

भोर में घर परिसर में साइकिल चलाना


एक कव्वा, शायद कव्वी; सिर झुकाये थी और दूसरा कव्वा उसकी कंघी कर रहा था। चोंच को उसके सिर और गर्दन पर फेर रहा था – बिल्कुल बालों में कंघी करने की मुद्रा में। एक दो बार ही नहीं करीब पांच मिनट तक वह करता रहा।

अफीम


अस्सी के दशक में रेलवे के वीपीयू में कच्चे अफीम का लदान हुआ करता था। रतलाम में अफीम का बड़ी लाइन में यानांतरण हुआ करता था। यहां से वीपीयू स्पेशल गाड़ी गाजीपुर सिटी के लिये जाया करती थी।

Design a site like this with WordPress.com
Get started