माई बुडि जाब। (माँ डूब जाऊंगा।)


सात आठ लोगों का समूह था। अपना सामान लिये गंगा में उभर आये टापू पर सब्जियाँ उगाने के काम के लिये निकला था घर से। गंगाजी में पानी ज्यादा नहीं था। एक रास्ता पानी में खोज लिया था उन्होने जिसे पानी में हिल कर पैदल चलते हुये पार किया जा सकता था। यह सुनिश्चित करनेContinue reading “माई बुडि जाब। (माँ डूब जाऊंगा।)”

खरपतवार का सौन्दर्य


आज सवेरे गंगा किनारे बादल थे। मनोरम दृष्य। हवा मंद बह रही थी। नावें किनारे लगी थी। मांझी नैया गंगा किनारे। पर आज को छोड़ कर पिछले एक महीने से गंगाजी के कछार में सवेरे मौसम खुला रहता था। कोहरे का नामोनिशान नहीं। क्षितिज पर न बादल और न धुंध। सूर्योदय आजकल साफ और चटकContinue reading “खरपतवार का सौन्दर्य”

एक शाम की रपट


आज शाम जल्दी घर लौटना हो गया। यह साल में एक या दो ही दिन होता है। मैने अपना बेटन लिया और गंगा किनारे चल दिया। चाहता था कि धुंधलका होने से पहले गंगा जी तक पंहुच जाऊं तो जल्दी में कैमरा लेना भी भूल गया। पर जेब में मोबाइल फोन था, कामचलाऊ चित्र खींचनेContinue reading “एक शाम की रपट”

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