लॉकडाउन काल में सवेरे का साइकिल व्यायाम


वृद्धावस्था जैसे जैसे हावी होगी, वैसे वैसे साइकिल पर घूमना, देखना, लिखना शायद संकुचित होता जाये। जब तक यह एक्रोबैटिक्स चल रही है, तब तक चलाने का पूरा मन है। जीवन का रस कस कर निचोड़ना है, जीडी!

गाँव देहात और गंगा तट का एकांत


सुबह शाम सूरज की किरणें, गंगा नदी का बहाव, बबूल के झुरमुट और उनके झाड़ों पर उखमज (पतिंगे) वैसे ही हैं, जैसे थे। किसी आयरस-वायरस का कोई प्रभाव नहीं।

कोविड19 प्रसार, मसाले, गिलोय और इम्युनोलॉजी


भारत के लोगों में मसालों का प्रचुर प्रयोग शायद उन्हें इस प्रकार की रोग प्रतिरोधक क्षमता देता है कि कोरोना वायरस के ग्रसित लोग; बढ़ी उम्र और को-मॉर्बिडिटी होने के बावजूद ठीक ज्यादा हुये और उनको वेण्टीलेटर की जरूरत पश्चिमी देशों की अपेक्षा कहीं कम पड़ी।

Design a site like this with WordPress.com
Get started