प्रेमसागर के पास भी सर्दी के हिसाब से अपना इंतजाम नहीं है। उन्होने सर्दी का समय किसी “पीपल के नीचे या मंदिर में” बिना सुविधा के गुजारने का ड्राई रन नहीं किया है – ऐसा लगता है। अब वे तय कर रहे हैं कि एक भेड़ियहवा कम्बल और इनर-लोअर खरीदेंगे। बारिश हो गयी है। सर्दी बढ़ेगी ही।
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डईनिया का बुनकर पारसनाथ
यहां पारसनाथ जैसे चरित्र भी दिख जाते हैं – कम ही दिखते हैं; पर हैं; जिन्हे देख कर लगता है कि मूलभूत सरलता और धर्म की जड़ें अभी भी यहां जीवंत हैं। संत कबीर और रैदास की जीवन शैली और चरित्र अभी भी गायब नहीं हुये हैं सीन से।
बिस्राम का बुढ़ापा
वह लाठी टेकते आया था और खड़ंजे के अंत पर खड़ा था। एक टीशर्ट पहने जिसपर तिरंगा बना था और नीले रंग में अशोक चक्र भी। उसकी टी शर्ट और उम्र देख कर मैं रुक गया। बुढ़ापे से टीशर्ट मैच नहीं कर रही थी। मैंने कहा – “टीशर्ट बहुत अच्छी है। कहां से लिया?” उसकेContinue reading “बिस्राम का बुढ़ापा”
