गोधर कोलियरी – अण्डरग्राउण्ड खदान


धनबाद के पास स्टेशन है कुसुण्डा। वहां कई कोयला खदानें हैं। ओपन-कास्ट भी और अण्डरग्राउण्ड भी। मैं वहां खदान देखने नहीं, रेलवे के वैगनों में लदान देखने गया था। पिछले तीन चार दिन तेज बारिश होती रही थी। खनन का काम बहुत नहीं हो पाया था। इस लिये लदान का काम धीमा था। बहुत जगहContinue reading “गोधर कोलियरी – अण्डरग्राउण्ड खदान”

अशोक कुमार, फ़िल्मिस्तान स्टूडियो और लल्लू बाबू


लल्लू बाबू मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद फ़िल्म इण्डस्ट्री में भी हाथ आजमा कर आ चुके हैं। लल्लू बाबू यानी श्री विपिन बिहारी उपाध्याय। उनकी सबसे छोटी बिटिया और मेरी बिटिया जेठानी-देवरानी हैं। उनकी सबसे बड़ी बिटिया मेरे सबसे बड़े साले साहब की पत्नी हैं। एक अन्य बिटिया के पति मेरे फेसबुक के मित्रContinue reading “अशोक कुमार, फ़िल्मिस्तान स्टूडियो और लल्लू बाबू”

यात्रा एक किलोमीटर


(कल दफ्तर में) लंचटाइम। मेरी टेबल पर टाटा नैनो में भारत यात्रा के दो ट्रेवलॉग हैं। उन्हे पलटने पर मजा नहीं आता। लोगों को यात्रा कर किताब लिखने भर की पड़ी है शायद। यात्रा के दौरान यात्रा से कई गुना देखना न हो तो वह ट्रेवलॉग किस काम का। और देखना कैमरे की आंख सेContinue reading “यात्रा एक किलोमीटर”

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