वे गांव में बसने आये नहीं; और सम्भावना भी नहीं है।


कोरोना काल में और उसके अलावा गांव में सड़क बिजली पानी और इण्टरनेट का अभाव जो था, वह कम हुआ होगा पर वाराणसी और प्रयागराज के शहरी विकास की तुलना में वह असमानता (Inequality) बढ़ी ही होगी।

टुन्नू पण्डित के साथ सवेरे की चाय


तरह तरह की बात हुई। उन्होने बताया कि गंगाजी के पांच किलोमीटर दोनो ओर का कॉरीडोर ऑर्गेनिक खेती के लिये डिल्केयर होने की सम्भावना है। वह अगर होता है तो मृदा की सेहत और खेती के पैटर्न के लिये बहुत कुछ सरकारी इनपुट्स मिलेंगे।

सवेरे के सौ कदम


एक एक दो दो कमरे के घर हैंं; साथ में मड़ई या टप्पर है जिसमें बकरियां, मुर्गियां, गायें भैंसें रहती हैं। ज्यादातर के पास बकरियां हैं। सर्दी से बचाने के लिये उनपर पुराना कपड़ा या टाट का बोरा डाला हुआ है।

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